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बलिया में बोले सतीश चंद्र मिश्र- बसपा की सरकार बनी, तो दोबारा कराएंगे बिकरू कांड की जांच

BSP Satish Chandra Mishra on Bikru Case Vikas Dubey Encounter: बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत को सही ठहराने वाली जांच आयोग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है.

BSP Satish Chandra Mishra on Bikru Case Vikas Dubey Encounter: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत को सही ठहराने वाली जांच आयोग की रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि बसपा की सरकार बनने पर इस कांड की फिर से विस्तृत जांच की जाएगी.

मिश्र ने शुक्रवार को बलिया जिला मुख्यालय पर बसपा के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से बातचीत में कानपुर के बिकरू कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत को सही ठहराने वाली न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किये. उन्होंने न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि जांच समिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अधीन है और उसकी रिपोर्ट की कोई विश्वसनीयता नहीं है.

मिश्र ने कहा, बसपा की सरकार बनने दीजिए, दोबारा सारे तथ्यों की जांच की जाएगी. उन्होंने पिछले साल हाथरस में दलित युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म और मौत की घटना याद दिलाते हुए सवाल किया कि उस जांच में क्या हुआ. इस मामले में राजनीतिक दलों ने आंदोलन किये, जिसके बाद जांच पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपी गई थी.

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उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में बिकरू कांड की जांच रिपोर्ट बृहस्पतिवार को रखी गयी. घटना की जांच उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्‍यायाधीश बीएस चौहान की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग ने की है. पुलिस मुठभेड़ में कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे की मौत के मामले में आयोग ने पुलिस को क्लीन चिट दी और कहा कि इस संबंध में पुलिस ने जो बातें कही हैं उनसभी का साक्ष्य मौजूद है.

संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्‍ना ने बृहस्पतिवार को सदन के पटल पर रिपोर्ट रखने की घोषणा की. रिपोर्ट में कहा गया है, (विकास दुबे मुठभेड़) मामले में एकत्रित सबूत घटना के बारे में पुलिस के पक्ष का समर्थन करते हैं. पुलिसकर्मियों को लगी चोटें जानबूझकर या स्वयं नहीं लगायी जा सकती. डॉक्टरों के पैनल में शामिल डॉ आरएस मिश्रा ने पोस्टमार्टम किया और स्पष्ट किया कि उस व्यक्ति (दुबे) के शरीर पर लगी चोटें पुलिस पक्ष के बयान के अनुसार हो सकती हैं.

गौरतलब है कि कानपुर जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दो जुलाई, 2020 की रात को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी. पुलिस की यह टीम कुख्यात माफिया विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके घर दबिश देने गई थी. उस दौरान दुबे और उसके सहयोगियों ने एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों पर हमला कर उनकी हत्या कर दी थी. इस घटना के हफ्ते भर के भीतर ही दुबे को मध्य प्रदेश पुलिस ने उज्जैन से गिरफ्तार किया.

दुबे को जब पुलिस उज्‍जैन से कानपुर ला रही थी, तभी उसने भागने की कोशिश की और मुठभेड़ में मारा गया. आयोग में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एसके अग्रवाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता शामिल थे. आयोग ने 21 अप्रैल को राज्य सरकार को 824 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी.

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