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आगरा का टीला माईथान बना जोशीमठ, मकानों पर मंडराया खतरा, लगाए गए लाल निशान, नई छत तलाशने के लिए शुरू हुआ संघर्ष

जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम ने घटनास्थल के आसपास मौजूद सभी मकानों का निरीक्षण किया. इसमें पाया कि करीब 40 से 50 अन्य मकान ऐसे हैं, जो इस समय रहने के लायक नहीं हैं और कभी भी हादसा हो सकता है. इन घरों में रहने वाले लोगों को यहां से शिफ्ट होने के लिए कह दिया गया है.

Agra: जिले के टीला माईथान में हुए हादसे के बाद जिला प्रशासन और एनडीआरएफ ने घटनास्थल के पास मौजूद कई मकानों का दौरा किया है. इसमें पाया गया कि कई मकान अभी रहने की स्थिति में नहीं हैं और सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन ने करीब 40 से 50 मकान के बाहर लाल क्रॉस का निशान लगा दिया है. इन घरों में रहने वाले लोगों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट होने के लिए कहा गया है. ऐसे में इन सभी मकानों में रहने वाले सैकड़ों लोग अब अपना आसरा ढूंढने में जुट गए हैं.

लोगों के सामने अपने रहने के लिए दूसरी जगह तलाशने की समस्या खड़ी हो गई है. अधिकतर लोगों ने शुक्रवार देर शाम तक अपने मकान खाली भी कर दिए. हालांकि इनका कहना है कि अधिकारियों ने मकान तो खाली करने को बोल दिया. लेकिन, उनके लिए दूसरी कोई व्यवस्था नहीं की है. उनसे कहा गया है कि रैन बसेरे में जाकर रुके.

गणतंत्र दिवस की सुबह गुरुवार को सिटी रोड स्टेशन के पास मिट्टी खिसकने की वजह से करीब 5 से 6 मकान जमींदोज हो गए. इसमें एक बच्ची की मौत भी हो गई और वहीं आसपास के अन्य मकानों में भी दरार आ गई है, जिसकी वजह से लोग घटना के बाद से ही दहशत में हैं.

इसके बाद शुक्रवार शाम को जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम ने घटनास्थल के आसपास मौजूद सभी मकानों का निरीक्षण किया. इसमें पाया कि करीब 40 से 50 अन्य मकान ऐसे हैं, जो इस समय रहने के लायक नहीं हैं और कभी भी हादसा हो सकता है. ऐसे में जिला प्रशासन व एनडीआरएफ की टीम ने सुरक्षा की दृष्टि से इन घरों में रहने वाले लोगों को शुक्रवार शाम करीब पांच बजे यहां से शिफ्ट होने के लिए कह दिया. इसके बाद कुछ परिवार अपना सामान लेकर किसी रिश्तेदार के घर पहुंचे तो कुछ ने किराए पर घर का इंतजाम किया, वहीं कुछ किसी धर्मशाला में रहने को पहुंच गए हैं.

जो लोग यहां से मकान खाली कर दूसरी जगह जा रहे हैं, उनके सामने नया आसरा ढूंढने की समस्या खड़ी हो गई है. कई लोगों का कहना है कि अधिकारियों ने मकान खाली करने को तो कह दिया. लेकिन, उनके लिए कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की. ऐसे में अब इस सर्दी में हम लोग कहां जाएंगे और अगर दूसरी जगह किराए पर घर भी लेते हैं तो उसका रुपये कौन देगा.

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टीला माई थान की रहले वाली दया गौतम ने बताया कि मेरे परिवार में 9 लोग हैं. पांच बजे हमें जानकारी मिली के मकान खाली करने को कहा गया है. कई मकानों पर क्रॉस लगा दिए गए हैं. मेरा पति विकलांग है और बोल भी नहीं सकता. ऐसे में अब हम बच्चों को लेकर हम कहां जाएंगे और कहीं किराए पर रहेंगे तो किराया कौन देगा. अभी तक यह भी नहीं बताया गया कि कब तक हमें बाहर रहना है. उन्होंने कहा कि मेरा घर घटनास्थल से बहुत दूर है फिर भी हमसे मकान खाली कराया जा रहा है.

क्षेत्रीय निवासी सुरेश बघेल का कहना है कि हमारे परिवार में पांच लोग हैं. हमने अपना मकान खाली कर दिया है और दूसरी जगह जा कर रह रहे हैं. वहीं की रहने वाली रामो देवी का कहना है कि अभी हमारा सामान सड़क पर ही रखा हुआ है. हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे. हमसे चार बजे बोल दिया गया कि जल्दी से मकान खाली करो इसके बाद क्षेत्र की बिजली काटी जाएगी.

अपने परिवार के नौ लोगों के साथ रहने वाले अरविंद शर्मा का कहना है कि उनसे मकान खाली करने को बोला गया था. अधिकारियों से जब पूछा कि कहां जाएंगे तो कहा गया कि रैन बसेरे में जाकर रहिए. करीब हफ्ते भर तक बाहर रहने के लिए बोला गया है और कहा गया है कि आपका मकान सुरक्षित नहीं है. जब यह जगह सुरक्षित हो जाए तो आप वापस आ सकते हैं. अरविंद शर्मा अपनी बूढ़ी मां और अपने परिवार के अन्य लोगों के साथ मकान खाली कर चुके हैं.

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