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आखिर क्यों न बर्खास्त की जाये यूपी सरकार!

-मुकुंद हरि- यूपी में है दम क्योंकि जुर्म यहां है कम ! आज भी सबको याद है ये नारा जो मुलायम सिंह की पार्टी अपने सुशासन का प्रचार करवाने के लिए मेगा-स्टार अमिताभ बच्चन के मुंह से प्रचारित करवाती रहती थी.क्या ये वही उत्तर-प्रदेश है ? क्या वाकई मुलायम के समाजवादी राज में यूपी में […]

-मुकुंद हरि-

यूपी में है दम क्योंकि जुर्म यहां है कम ! आज भी सबको याद है ये नारा जो मुलायम सिंह की पार्टी अपने सुशासन का प्रचार करवाने के लिए मेगा-स्टार अमिताभ बच्चन के मुंह से प्रचारित करवाती रहती थी.क्या ये वही उत्तर-प्रदेश है ?

क्या वाकई मुलायम के समाजवादी राज में यूपी में जुर्म कम होते हैं ? अगर मुलायम के सुपुत्र अखिलेश के राज का अब-तक का लेखा-जोखा देखा जाये तो साफ दीखता है कि यूपी में जब से अखिलेश की सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से पूरे सूबे में दिन-ब-दिन कानून-व्यवस्था की हालत गिरती ही चली गयी है.

अखिलेश यादव के कुर्सी संभालते ही पहले तो दंगों ने राज्य को दहलाना शुरू किया, वो भी दो-चार नहीं बल्कि राज्य में अब तक सैकड़ों की तादाद में दंगे हो चुके हैं. उसके बाद सपा के लोगों की गुंडई अपना रंग दिखाने लगी. पहले तो रंगदारी, लूट और हत्या का दौर चलता रहा, मगर अब तो हालत ये हो चुकी है कि लगभग हर रोज उत्तर-प्रदेश से बलात्कार की खबरें आ रही हंै. पूरे प्रदेश की शासन व्यवस्था की कलई खुल चुकी है.

याद रहे, हाल ही में संपन्न हुए लोक-सभा के चुनावों के प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के सुपर मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने बलात्कार करने वालों के प्रति विवादस्पद बयान दिया था जिसके बाद राज्य में इस कु-कृत्य की झड़ी सी लग गयी है. मुलायम ने बलात्कारियों को फांसी की सजा देने का विरोध किया था और कहा था – बच्चों से इस उम्र में ऐसी गलतियां हो जाती हैं, इसका मतलब ये नहीं कि उनको फांसी जैसी सख्त सजा दी जाये.

वोट बैंक के फायदे के लिए दिये गये ऐसे घटिया बयान का असर ये हुआ है कि आज समूचे उत्तर-प्रदेश में, चाहे शहर हों या गांव, हर जगह बहू-बेटियों का जीना दुश्वार हो गया है.कभी बदायूं तो कभी अलीगढ़, बरेली, देवरिया, गोरखपुर या कि बनारस हर जगह से बलात्कार की निर्मम खबरें आती रही हैं.

हर खबर अपने आप में निर्ममता के नये-नये तरीकों को दिखाती है. इंसान जब तक एक घटना के झटकों और सदमों से उबरने की कोशिश करता तब तक दूसरी घटना उसको झकझोरने को तैयार मिलती रही. बलात्कार और उसके बाद हत्याओं का ये वो क्रूरतम क्रम रहा है जिसने पूरे राज्य और देश भर में मानवीय संवेदना रखने वालों के मन को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है.

ऊपर से इन विषयों पर राज्य के मुख्यमंत्री समेत सभी बड़े और प्रमुख नेताओं के छिछले बयानों ने जले पर नमक छिड़कने का काम किया है. ऐसे बयानों ने अपराधियों के हौसले और ज्यादा बुलंद कर दिए हैं. हालिया घटना भी उसी घटनाक्रम से जुड़ी हुई है जिसने ये साबित किया है कि यूपी में पुलिस और प्रशासन पूरी तरह नाकाम हो चुका है.

राज्य की राजधानी लखनऊ के पास मोहनलालगंज में तकरीबन 25 साल की एक पढ़ी-लिखी महिला के साथ अपराधियों ने सुनियोजित ढंग से न सिर्फ बलात्कार किया बल्कि उसकी निर्मम तरीके से पिटाई कर उसकी हत्या भी कर दी.

अभी तक मिली खबरों के अनुसार ये मालूम हुआ है कि उक्त महिला लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली एक पढ़ी-लिखी महिला थी. अपराधियों ने इस महिला को लखनऊ से मोहनलालगंज लाकर पहले तो इसके साथ बारी-बारी से बलात्कार किया और उसके बाद इस मजबूर औरत को लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा. क्रूरता की इससे बड़ी मिसाल क्या होगी कि उन हत्यारों ने इस महिला के शरीर के अंदरूनी अंगों में भी लाठी डालकर चोट पहुंचाई और उन्हें कुचल डाला.

मोहनलालगंज के जिस स्कूल के अहाते में ये सब हुआ, वहां फैले खून के निशान ये दिखाते हैं कि मृत्यु से पहले बुरी तरह घायल हो चुकी उस महिला ने अपने शरीर को घसीट-घसीट कर खुद को बचाने और किसी तरह की मदद पाने की कोशिश की थी मगर ना तो उन हैवानों को उस पर तरस आया और ना ही उस इलाके के किसी इंसान ने उस अबला की पुकार सुनी. पूरे विद्यालय-प्रांगण में तकरीबन 80 मीटर तक उस महिला के शरीर का खून फैला मिला. अगर उसे वक्त रहते कोई मदद मिल जाती तो शायद आज वो जिंदा होती.

जैसे ही इस घटना की खबर फैलनी शुरू हुई, यूपी पुलिस हरकत में आयी और उस जगह से बिना किसी फोरेंसिक जांच के ही उसने सबसे पहला काम से किया कि महिला के मृत शरीर को उस जगह से हटवा दिया क्यूंकि उसे डर था कि अगर उसने जल्दी नहीं की तो ये खबर मुसीबत बन सकती थी क्यूंकि उसी गांव के बगल में क्िंलटन का कार्यक्रम था और वो पहुंचने वाले थे.

महिला का शरीर पूरी तरह निर्वस्त्र था और उसके कपड़े फटी हुई हालत में झाडियों में मिले. उम्मीद है जल्द ही उक्त महिला से जुड़े और तथ्यों की जानकारी भी सामने आयेगी.लेकिन, इंटरनेट और सोशल नेटर्विकंग के इस ज़माने में ये खबर पहले ही पूरे देश में फैल चुकी है और लोग इसे दिल्ली में हुए वहशी निर्भया-कांड की ही तरह देख रहे हैं क्यूंकि उस घटना में ही पीडि़ता के साथ भी इसी तरह न केवल बलात्कार किया गया था बल्कि उसके शरीर और अंगों को चोट पहुंचाई गई थी जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हुई थी.

सवाल ये उठता है कि जिस सरकार के राज्य में वहां की जनता चाहे दिन हो या रात , चैन से नहीं रह सकती, जहां की बेटियां और बहुएं अपने घरों के बाहर सुरक्षित नहीं हैं और जिस सरकार के नेता अपनी ही नाक के नीचे हो रही इन घटनाओं पर ऐसे बयान देते हों जिनसे पीडितों का मजाक और अपराधियों का मनोबल बढ़ता हो, वैसी सरकार का सत्ता में बने रहने का महत्व क्या बनता है.

यूपी की अफसरशाही और पुलिस पूरी तरह बे-लगाम हो चुकी है. जिस राज्य में परोक्ष रूप से चार-चार मुख्यमंत्री हों, वहां ऐसा होना स्वाभाविक ही लगता है. वरना यही पुलिस और यही अफसर, मायावती की सरकार में भी रहे हैं और उस दौर में अपराधियों की नकेल लगभग पूरी तरह कसी रहती थी.

अब समय आ गया है, या तो पार्टी, अखिलेश को हटाकर किसी नये और योग्य नेता को अपना अगुआ चुने या फिर केंद्र को राज्य सरकार के खिलाफ कदम उठाना होगा. ऐसी सरकारें, चाहे वो किसी भी राज्य की हों, किसी भी पार्टी की हों, यदि वे अपनी जनता को सुरक्षित नहीं रख सकतीं और अपराध पर लगाम नहीं लगा सकतीं तो उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है. यदि अब भी सरकारें नहीं चेतेंगी तो जनता सड़क पर आएगी और उसके बाद जो होगा उसका अंदाजा लगाना बहुत मुश्किल है.

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