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लुभावनी योजनाओं से अखिलेश ने किया तौबा

।।राजेन्द्र कुमार।। लखनऊः बीते लोकसभा चुनावों में मिली करारी पराजय से तिलमिलाए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लैटपाट वितरण, कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ता देने सरीखी योजनाओं को बंद कर दिया है. सूबे में पूर्णबहुमत वाली सरकार सपा सरकार बनाने के तत्काल बाद अखिलेश यादव ने इन तीन महत्वपूर्ण योजनाओं को शुरू किया […]

।।राजेन्द्र कुमार।।

लखनऊः बीते लोकसभा चुनावों में मिली करारी पराजय से तिलमिलाए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लैटपाट वितरण, कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ता देने सरीखी योजनाओं को बंद कर दिया है. सूबे में पूर्णबहुमत वाली सरकार सपा सरकार बनाने के तत्काल बाद अखिलेश यादव ने इन तीन महत्वपूर्ण योजनाओं को शुरू किया था, परन्तु अब मुख्यमंत्री ने इनसे दूरी बना ली है. अखिलेश सरकार का मत है कि उक्त योजनाओं का लाभ बीते लोकसभा चुनावों में पार्टी को नहीं मिला. ऐसे में अब इन तीन योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बजाए सूबे की सरकार पार्टी के पुराने एजेंडे गांव गरीब और किसान पर ध्यान देगी. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी यही चाहते हैं.

उनकी मंशा के तहत अब अखिलेश सरकार सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा और कृषि संबंधी योजनाओं पर बड़ी धनराशि खर्च करेगी. यूपी के वित्त वर्ष 2014-15 का बजट प्रस्तुत करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को सदन में यह घोषणा की.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सदन में 2,74,704.59 करोड़ रुपए का बजट पेश करते हुए सूबे में समाजवादी पेंशन योजना शुरू करने का ऐलान भी किया. मुख्यमंत्री के अनुसार साल भर में 36 हजार रुपए से कम कमाने वाले 40 लाख परिवारों को इस पेंशन योजना का लाभ मिलेगा.

शुक्रवार को मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया गया ये बजट पिछले आठ सालों में सबसे बड़ा बजट है. बजट का आकार पिछले वर्ष की तुलना में 22 फीसदी बड़ा है. सदन में बजट पेश करने के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राजकीय कोष घाटा पर नियंत्रण का प्रयास किया है और इस बार लोकलुभावन योजनाओं की जगह बजट में सूबे की अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर करने पर विशेष ध्यान दिया है. जिसके तहत सड़कों और पुलों के निर्माण के लिए 15100 करोड़ और माध्यमिक शिक्षा के लिए 7880 करोड़ रुपए का बजट में प्राविधान किया गया है. सूबे में बिजली की हालत को सुधारने के लिए 23,928 करोड़ रुपये का प्रावधान भी बजट में हुआ है. प्रदेश पुलिस के आधुनिकीकरण पर भी 12,400 रुपए खर्च करने की स्वीकृति बजट में दी गई है. मुख्यमंत्री के अनुसार बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है.

मुख्यमंत्री ने यूपी में विकास संबंधी योजनाओं को आंवटित की गई धनराशि का ब्यौरा विस्तार से दिया. इसी दरमियान लैटपाप, कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ता देने संबंधी योजनाओं को बंद करने से जुड़े प्रश्न मुख्यमंत्री से पूछे गए तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. पत्रकार उनसे जानना चाह रहे थे कि इन तीन योजनाओं को मुख्यमंत्री से लेकर सपा प्रमुख तक बेहतर बताते हुए लोकसभा चुनावों में जनता से वोट मांग रहे थे, फिर इन योजनाओं के लिए बजट में धन क्यों नहीं आवंटित हुआ. परन्तु मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के इस सवाल का कोई स‍ीधा उत्तर नहीं दिया. उन्होंने कहा कि इस बार उनकी प्राथमिकता यूपी की अवस्थापना सुविधाओं को बेहतर करने की है. इसके लिए उन्होंने बजट में तमाम प्राविधान किए है. दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के अलावा यूपी में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए उद्योगों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. खेती-किसानी के क्षेत्र में भी निवेश को बढ़ावा दिया जाएगा. गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, सिंचाई पेयजल और बिजली आपूर्ति को बेहतर करने संबंधी योजनाओं पर बड़ी धनराशि खर्च की जाएगी.

विपक्ष ने बजट को बताया निराशाजनक

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय पाठक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा सदन में पेश किए गए बजट को निराशाजनक और भ्रमित करने वाला बताया. पाठक के अनुसार सपा सरकार के बजट में लैपटाप, कन्या विद्याधन और बेरोजगारी भत्ते को बंद करने को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्यों इन योजनाओं के लिए बजट में धन आवंटित नहीं किया गया. मुख्यमंत्री की चुप्पी से इन योजनाओं को लेकर भ्रम फैलेगा.

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेष अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने प्रदेश सरकार के बजट को झूठ का पुलिन्दा बताया है. मुन्ना के अनुसार इस बजट से किसानों के हित के लिए कृषि विकास दर का लक्ष्य पूरा होने वाला नहीं है तथा उनकी कृषि लागत की उपज का वाजिब मूल्य के लिए बजट में कोई ठोस उपाय नहीं है. नौजवान के हित के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है उनकी अनदेखी की गयी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री ने अखिलेश सरकार के बजट को जनविरोधी और दिशाहीन बताया है. उनके मुताबिक इस बजट में प्रदेश के विकास को लेकर कोई स्पष्ट सोच नहीं है. हर तरफ हाथ-पैर फैलाए गए हैं. किसी एक सेक्टर में फोकस नहीं किया गया है. बसपा ने स्वामी प्रसाद के अनुसार अखिलेश सरकार के इस बजट से सूबे का भला नहीं होने वाला है. जनता की समस्याअओं के निदान को लेकर बजट में ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

इन योजनाओं से अखिलेश ने बनायी दूरी

कन्‍या विद्या धन योजना

सूबे में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार बनने के तत्काल बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कन्या विद्याधन योजना शुरू करने की घोषणा की थी. 27 सितंबर 2012 को अखिलेश यादव ने झांसी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कुछ लाभार्थी छात्राओं को चेक बांटकर इसके शुरू किया था. यह योजना सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने शुरू की थी, जिसके अखिलेश यादव ने आगे बढ़ाया. कन्या विद्या धन योजना के तहत बीपीएल परिवारों की इंटर पास छात्राओं को तीस हजार रुपए दिए जा रहे थे.

बेरोजगारी भत्‍ता योजना

अखिलेश सरकार ने 15 मार्च 2012 को इस योजना को शुरू करने की घोषणा की थी. फिर नौ सितंबर 2012 को 25 से 40 वर्ष के शिक्षित बेरोजगार युवकों को हर महीने एक हजार रुपए का बेरोजगारी भत्ता देने की शुरुआत की गई. पार्टी ने वर्ष 2007 में जारी किए गए चुनावी घोषणा पत्र में उक्त योजना को शुर करने का वादा किया था, जिसे अखिलेश यादव ने अमली-जामा पहनाया. बेरोजगारी भत्‍ता योजना की शुरुआत काल्विन तालुकेदार्स कॉलेज के विशाल मैदान में 10,500 युवकों को बेरोजगारी भत्ते का चेक देकर की गई थी. सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के हाथों उक्त योजना का शुभारंभ किया गया था. तब अखिलेश यादव ने कहा था कि डॉ. राममनोहर लोहिया का वह सपना पूरा हो गया है, जो उन्होंने न सिर्फ देखा था बल्कि जिस पर अमल के लिए संघर्ष भी किया था. बीते वर्ष उक्त योजना के लिए सरकार ने 1200 रुपए का प्राविधान बजट में किया था.

लैपटॉप योजना

15 मार्च 2012 में को हुई कैबिनेट की पहली बैठक में अखिलेश यादव ने 12वीं के छात्रों को लैपटॉप और हाईस्कूल पास छात्रों को टैबलेट बांटने संबंधी योजना शुरू करने का निर्णय लिया था. इस योजना के तहत साढ़े सोलह लाख छात्रों को लैपटॉप बांटने का लक्ष्‍य रखा गया. खुद अखिलेश यादव इस योजना को लेकर बेहद उत्‍साहित थे, और उनकी देखरेख में साढ़े चौदह लाख छात्रों को लैपटाप बांटे गए. टैबलेट बांटने की योजना शुरू नहीं हुई.

कहा जा रहा कि उक्त योजना का लाभ लोकसभा चुनावों में पार्टी को नहीं मिला और उसके बाद पार्टी में इस योजना को बंद करने की मांग होने लगी. कहा गया कि उक्त योजना में खर्च हुए 1500 करोड़ रूपए बेकार चले गए. ऐसी आलोचना के बीच अखिलेश सरकार ने अपनी इस प्रिय योजना को बजट में धन आंवटित नहीं किया और इसे बंद करने का संकेत कर दिया.

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