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Rourkela News: आरएसपी की पहल से जैविक खेती कर आत्मनिर्भर बन रहीं ग्रामीम महिलाएं

Rourkela News: आरएसपी ने एनआइटी राउरकेला के सहयोग से ग्रामीण महिलाओं के लिए सतत हरित खेती परियोजना शुरू की है.

Rourkela News: राउरकेला इस्पात संयंत्र (आरएसपी) के अग्रणी निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) पहल के तहत जैविक कृषि तकनीकों का उपयोग करके सतत हरित खेती के माध्यम से लघु महिला किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए एक अनूठी परियोजना का कार्यान्वयन कर रहा है. इस एकीकृत दृष्टिकोण का उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जो वंचित ग्रामीण समुदायों की लघु महिला किसानों को जैविक उत्पादों का अभ्यास और तैयारी करने में सक्षम बनाये.

विपणन और बिक्री में प्रदान की जा रही सहायता

यह उत्पादन के लिए प्रारंभिक निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) सहायता के साथ-साथ विपणन और बिक्री में सहायता भी प्रदान करता है, इस योजना का लाभ आरएसपी के प्रत्यक्ष प्रभाव वाले क्षेत्रों और पुनर्वास कॉलोनियों में रहने वाली महिलाओं तक पहुंचाया गया है, ताकि एक स्थायी आय और कौशल अद्यतन (अपस्किलिंग) की दिशा में एक दीर्घकालिक सतत प्रयास किया जा सके, जिससे परिवारों और इस प्रकार समग्र समुदाय को लाभ हो. उल्लेखनीय है कि जैविक खेती की यह परियोजना आरएसपी द्वारा एनआइटी राउरकेला के सहयोग से शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य चार वर्षों की अवधि में पार्श्वांचल गांवों के कम से कम 700 किसानों, जिनमें अधिकतर महिलाएं हैं, को शामिल करना है.

जैविक खेती की तकनीक का दिया जा रहा व्यावहारिक प्रशिक्षण

महिला किसानों को जैविक खेती की मूल बातें, इसकी स्थिरता संबंधी विशेषताएं, वर्मीकम्पोस्ट, जैविक खाद, जैव कीटनाशक और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन तैयार करने के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसका उद्देश्य लोगों को जैविक खेती के बारे में जागरूक और कुशल बनाना तथा स्वस्थ, पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए एक दीर्घकालिक योजना तैयार करना है. इस कार्यक्रम में मशरूम खेती का प्रशिक्षण भी शामिल है, जो आय का एक अतिरिक्त या मुख्य स्रोत प्रदान करेगा, साथ ही वर्मीकम्पोस्ट के गड्ढे बनाने और समर्पित वेंडिंग जोन के माध्यम से उत्पादों को बेचने में मदद के लिए वित्तीय और रसद सहायता भी प्रदान करेगा.

महिला किसानों को प्रशिक्षक और सामुदायिक नेता बनने में भी सक्षम बना रहा

यह परियोजना जैविक खेती पर केंद्रित विभिन्न पहलों, समर्थित गतिविधियों और ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी महिला किसानों के लिए प्रशिक्षण को जोड़ती है, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके और प्रशिक्षक के रूप में उनकी क्षमता का निर्माण किया जा सके. इसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार, वर्मीकम्पोस्ट, जीवामृत, बीजामृत, मशरूम, जैविक हल्दी और केले जैसे उत्पादों को बढ़ावा देना और उनका विपणन करना तथा ओआरएमएएस (ओरमास), कृषि विज्ञान केंद्र, एनआइटी राउरकेला, बागवानी विभाग और स्वयं सहायता समूह समूहों के साथ साझेदारी के माध्यम से उन्हें स्थानीय उपभोक्ताओं से जोड़ना है. इस बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से, आरएसपी सीएसआर न केवल सतत कृषि को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिला किसानों को प्रशिक्षक और सामुदायिक नेता बनने में भी सक्षम बना रहा है, जिससे दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव सुनिश्चित हो रहा है.

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