Bhubaneswar News: ओडिशा सरकार ने केंद्र सरकार के युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के सहयोग से राज्य के सभी 30 जिलों में खेलो इंडिया केंद्रों का औपचारिक उद्घाटन रविवार को किया है. यह ऐतिहासिक पहल जमीनी स्तर पर खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करने और उभरती खेल प्रतिभाओं को सशक्त प्रशिक्षण देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रत्येक जिले के एक-एक सरकारी स्कूल को खेल केंद्र के रूप में चयनित किया गया है. इन केंद्रों के संचालन, प्रशिक्षण और आधारभूत ढांचे के रख-रखाव के लिए हर वर्ष पांच लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी. यह पहल खेलो इंडिया कार्यक्रम के व्यापक विजन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य देशभर में खेल अवसंरचना को मजबूत करना और युवा खिलाड़ियों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण मार्ग प्रशस्त करना है.
गांवों, कस्बों और शहरों से नयी खेल प्रतिभाओं को खोजने है मिशन
ओडिशा के खेल और युवा मामलों के मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने रविवार को उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि यह केवल एक अवसंरचना परियोजना नहीं है, बल्कि गांवों, कस्बों और शहरों से नयी खेल प्रतिभाओं को खोजने और संवारने का एक मिशन है. इन केंद्रों के माध्यम से दूरदराज और वंचित क्षेत्रों के बच्चों को भी पेशेवर खेल प्रशिक्षण का समान अवसर मिलेगा. मंत्री ने बताया कि 30 जिलों में स्थित सरकारी स्कूलों में ये केंद्र शुरू किये गये हैं. प्रत्येक केंद्र पर पारदर्शी प्रक्रिया के तहत प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी, जिनमें संबंधित खेल क्षेत्रों के विशेषज्ञ और पूर्व खिलाड़ी को प्राथमिकता दी जायेगी. मुझे विश्वास है कि ये केंद्र उन विद्यार्थियों के लिए अहम भूमिका निभायेंगे, जो खेल को करियर के रूप में अपनाना चाहते हैं. ये केंद्र जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण का मुख्य आधार बनेंगे.
ओलिंपिक और प्राथमिकता वाले खेलों पर केंद्रित होंगे नये केंद्र
उद्घाटन के अवसर पर बताया गया कि इन केंद्रों में स्थानीय सेवानिवृत्त खिलाड़ियों को प्रशिक्षक के रूप में शामिल किया जाएगा, जिससे न केवल उनकी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा, बल्कि उन्हें आजीविका का अवसर भी प्राप्त होगा. ये केंद्र मुख्य रूप से ओलिंपिक और प्राथमिकता वाले खेलों पर केंद्रित होंगे, जिनमें भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर संभावनाएं हैं. समय के साथ ये स्कूल क्षेत्रीय खेल उत्कृष्टता केंद्रों में बदलेंगे, जो जिला, राज्य और राष्ट्रीय टीमों के लिए प्रतिभा आपूर्ति श्रृंखला का कार्य करेंगे. इसके अलावा, इन केंद्रों के माध्यम से बच्चों में अनुशासन, टीम भावना और प्रतिस्पर्धात्मक सोच का भी विकास होगा. विशेष प्रयास कर समाज के हाशिए पर रहने वाले समुदायों और आदिवासी क्षेत्रों से प्रतिभाओं की पहचान की जायेगी, जिससे यह पहल समावेशी और व्यापक बन सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है