ओडिशा में पिछले एक दशक में 784 हाथियों की मौत होना दुर्भाग्यपूर्ण है. पिछले तीन साल में ही राज्य में 245 हाथियों की मौत विभिन्न कारणों से हुई है. केवल मार्च महीने में ही राज्य में सात हाथियों की जान जा चुकी है. हर साल राज्य में औसतन 80 हाथियों की मौत हो रही है, जो चिंता का विषय है. केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री(Union Forest and Environment Minister) भूपेंद्र यादव तथा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे पत्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह बातें कही.
साथ ही उन्होंने राज्य में मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने का अनुरोध किया. श्री प्रधान ने पत्र में कहा कि ओडिशा में हाथियों की मृत्यु की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं. हाथी-मनुष्य के बीच संघर्ष हमारे लिए आज सबसे बड़ी चुनौती है.
शिकार, बिजली का करंट लगने, ट्रेन व सड़क हादसे में जा रही हाथियों की जान
शिक्षा मंत्री ने पत्र में कहा कि हाथियों की मौत की बढ़ती संख्या और राज्य में मानव-हाथी संघर्ष पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं. सिर्फ मार्च महीने में ही ओडिशा में सात हाथियों की मौत हुई है, जिसमें से एक सतकोसिया अभयारण्य में हुई. अधिकतर हाथियों की मौत शिकार, बिजली का करंट लगने, ट्रेन या सड़क हादसे के कारण हुई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ओडिशा में इस गंभीर स्थिति पर विचार करते हुए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का हस्तक्षेप करना महत्वपूर्ण होगा.
प्रधान ने कहा कि ओडिशा में हाथियों के संरक्षण का अत्यंत महत्व है क्योंकि यह विशालकाय प्राणी राज्य के पर्यावरण संतुलन, सांस्कृतिक विरासत एवं पहचान का अभिन्न अंग है. प्रधान ने कहा कि इन प्राणियों की भलाई हमारे वनों के बेहतरी और स्थानीय समुदाय के जीवन यापन को बरकरार रखने के लिए अनिवार्य है.