हॉकी विश्व कप समाप्त होते ही पूरी व्यवस्था पहले की तरह भगवान भरोसे हो गयी है. करोड़ों रुपये की लागत से पार्क बनाकर इसकी सफाई का जिम्मा एसएचजी को दे दिया गया. ऐसा ही एक पार्क छेंड के गोपबंधुनगर फेज-2 में है. जिसकी व्यवस्था ‘नंदनी’ एसएचजी के पास है. पार्क से गंदगी को एकत्रित कर एसएचजी इसे पार्क के बाहर सड़क पर डाल दी है.
जिस समय गंदगी फेंकी जा रही थी, तो लोगों ने इसका विरोध किया. इस पर सफाईकर्मियों ने कहा कि यहां से बड़े वाहन में कचरा उठा लिया जायेगा. सात दिनों से यह कचरा पड़ा है, जिसकी सुध लेनेवाला कोई नहीं है. हल्के आंधी-तूफान से यह कचरा घरों में घुस रहा है, लेकिन इसका कोई असर हुक्मरानों पर नहीं पड़ रहा.
इस मार्ग से रोजाना कचरा ढोनेवाली गाड़ियां खाली जाती हैं, लेकिन ना तो एसएचजी, ना निगम के सफाईकर्मी इसे उठाने की जहमत उठा रहे हैं. शहरवासियों से घर का कचरा बटोरने की एवज में 60 रुपये मासिक लिया जा रहा है. वहीं, घर के बाहर एसएचजी कचरा जमा कर दे रही है, जिसे उठानेवाला तक कोई नहीं है.
वसूला जात है शुल्क
दरअसल स्मार्ट सिटी की व्यवस्था अजीबोगरीब हो चुकी है. यहां पर साफ-सफाई के लिए अलग से शुल्क वसूला जा रहा है. जिसे नहीं देने पर कचरा का निस्तारण नहीं हो सकता. वहीं, सेवा नहीं मिलने पर शिकायत के लिए टोल फ्री नंबर है, जिसपर शिकायत करने पर कब तक समस्या का समाधान होगा इसकी कोई जानकारी नहीं दी जा रही.
इंतजार करने को कहा जा रहा है. नौकरीपेशा, व्यवसायी या रिटायर्ड व्यक्ति इस तरह के तकनीकी पेच में वक्त बर्बाद करने के बाद अंतत: खुद पैसे खर्च कर सफाई कराने पर मजबूर हो जाते हैं. वहीं, निगम थोड़े-थोड़ अंतराल पर कई तरह के अवाॅर्ड लेकर प्रशंसा का पात्र बनता है, जबकि दावे और हकीकत में बड़ा फर्क साफ-साफ देखा जा रहा है.