MP Election 2023 : मध्य प्रदेश में बीजेपी के द्वारा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी करने के बाद से कई विधानसभा क्षेत्र चर्चा में आ गये हैं. इन विधानसभाओं में एक नाम मंडला की निवास विधानसभा है जो आदिवासियों के लिए आरक्षित है. इस विधानसभा की बात करें तो यहां 60% से भी ज्यादा आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं. इसमें सबसे बड़ी तादाद गोंड जनजाति की है. 40 प्रतिशत आबादी यहां सामान्य जनजाति की है. राजनीतिक रूप से इस विधानसभा पर गौर करें तो बीजेपी नेता और मंडला से सात बार सांसद रहे फग्गन सिंह कुलस्ते के परिवार के पास यह रही है. फग्गन सिंह कुलस्ते इसी विधानसभा में रहते हैं. उनका गांव जबेरा रिप्ता है जो निवास विधानसभा का हिस्सा है.
निवास सीट का राजनीतिक समीकरण क्या है जानें
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी हार गई थी. कांग्रेस के उम्मीदवार डॉक्टर अशोक मार्सकोले ने इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी रामप्यारे कुलस्ते को 30000 वोटों से पराजित किया था. रामप्यारे कुलस्ते फग्गन सिंह कुलस्ते के छोटे भाई हैं. 2003 से वे 2018 तक लगातार विधायक के पद पर रहे और जनता की सेवा की. 2003 में वे पहली बार विधानसभा का चुनाव में उतरे थे. इस चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम उम्मीदवार को 1000 वोटों से हराया था. इसके बाद रामप्यारे कुलस्ते लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे थे, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में इस इलाके के आदिवासी वोटर की नाराजगी का सामना रामप्यारे कुलस्ते को करना पड़ा. जनता ने डॉ अशोक मर्सकोले को कांग्रेस से जीताकर विधानसभा भेज दिया.
फग्गन सिंह को बीजेपी ने क्यों उतारा मैदान में
2018 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस साल कांग्रेस ने अपना वनवास खत्म किया था और प्रदेश में सरकार बनाई थी. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कमलनाथ की सरकार गिर गई थी. इस सीट पर भी कांग्रेस लहर का असर हुआ था. यही वजह है कि इस बार बीजेपी प्रदेश में फूंक-फूंककर कदम रख रही है. मंडला लोकसभा से सात बार सांसद रहे फग्गन सिंह कुलस्ते को विधानसभा का टिकट देकर बीजेपी ने यह साफ संकेत दे दिया है कि उसे किसी भी हाल में ये सीट जीतना ही है.
निवास विधानसभा के बारे में जानें ये खास बात
मंडला जिले की निवास विधानसभा जबलपुर जिले की सीमा पर है. इस इलाके में मनेरी नाम का एक गांव है, जिसे औद्योगिक क्षेत्र के रूप में विकसित करने का काम किया गया. इसका श्रेय फग्गन सिंह कुलस्ते को दिया जाता है. केंद्रीय मंत्री रहते हुए कुछ औद्योगिक इकाइयों को उन्होंने यहां स्थापित करवाया है. मनेरी में जबलपुर के बहुत से उद्योगपतियों का भी कारखाना है जिसका कुछ फायदा तो निवास क्षेत्र के गरीब आदिवासियों को मिलता है. मनेरी निवास विधानसभा में करीब ढाई लाख मतदाता हैं. इस विधानसभा की ज्यादा बड़ी आबादी कृषि पर आधारित है. यहां गेहूं, धान और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती लोग करते हैं. निवास का ज्यादातर इलाका पथरीला है. इस वजह से यहां भूमिगत जल की समस्या बनी रहती है. खेती आय का बहुत बड़ा जरिया नहीं है. निवास के आदिवासी भी बड़े पैमाने पर पलायन कर जाते हैं. शिक्षा के मामले में भी निवास एक पिछड़ा हुआ इलाका है, जहां बुनियादी शिक्षा के अलावा कोई व्यावसायिक शिक्षा नहीं है.