गर्भवती का इलाज नहीं करने के मामले में टीम ने की जांच
पीड़िता की शिकायत पर मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
अपर मुख्य सचिव की छह सितंबर को होने वाली समीक्षा बैठक में रखी जायेगी रिपोर्ट
चाईबासा : सदर अस्पताल में गर्भवती महिला का इलाज नहीं करने की शिकायत पर तीन साल बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान में लिया है. इस संबंध में सरकार के उपसचिव मनोज कुमार सिन्हा ने राज्य सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक और पश्चिमी सिंहभूम के सिविल सर्जन से आठ सितंबर तक जांच रिपोर्ट देने को कहा है. सिविल सर्जन ने जांच के लिए दो चिकित्सा पदाधिकारियों को नामित किया था.
जांच टीम में शामिल जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ हरिपाल सोनार और जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ जगत भूषण प्रसाद ने रविवार व सोमवार को गर्भवती महिला की भर्ती लेने वाले चिकित्सक डॉ मीरा अरुण, नर्स प्रेमलता व सहिया ज्योति बालमुंडा का बयान दर्ज किया. टीम ने जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन डॉ उगेश्वर राम को सौंप दी है. जांच रिपोर्ट को सिविल सर्जन छह सितंबर को होनेवाली स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव की समीक्षा बैठक में प्रस्तुत करेंगे. इसके बाद रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को भेजी जायेगी.
ज्ञात हो कि दो सितंबर 2014 को झींकपानी थानांतर्गत नवागांव के चोकरोबासा निवासी रेंगो सिद्दू की पत्नी पालो कुई को प्रसव पीड़ा होने पर सदर अस्पताल लाया गया था. इस संबंध में ओड़िशा निवासी रवि कुमार सोनी ने 18 सितंबर 2014 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से अस्पताल में महिला का चिकित्सक की ओर से जांच नहीं करने की शिकायत की गयी थी.