चक्रधरपुर : जिस जमीन पर लाखों रुपये के ईंट का कारोबार हो चुका है, उसके मालिकों के पास पेट तक भरने के पैसे नहीं हैं. यहां तक कि ढंग का मकान भी नहीं है. बच्चों की पढ़ाई भी भगवान भरोसे है. सभी लोग उसी ईंट भट्ठे पर मजदूरी करते हैं. परिवार के सदस्य कहते हैं कि जमीन पर ईंट भट्ठा संचालित होने से उनके पास जमीन नहीं रह गयी. प्रभात खबर के बुधवार के अंक में ‘नदी के पानी पर दबंगों का कब्जा’ शीर्षक खबर छपने के बाद जंतालबेड़ा में संचालित ईंट भट्ठा के भू स्वामियों को बल मिला है.
स्व रामराय कांडेयांग के पुत्र महती कांडेयांग, उदय कांडेयांग, सुबोध कांडेयांग, चामरा कांडेयांग तथा स्व नाजिर कांडेयांग के पुत्र सुदरो कांडेयांग, उज्ज्वल कांडेयांग, लखन कांडेयांग की जमीन पर जंतालबेड़ा में ईंट भट्टा वर्ष 2000 से चल रहा है. इन्होंने बताया कि उन्हें सालाना मात्र आठ हजार रुपये जमीन के किराया के तौर पर दिया जाता है. ये रुपये में दो भाइयों के सात पुत्रों में बांटे जाते हैं. भूस्वामियों का कहना है कि उनकी जमीन के कागजात भी ईंट भट्ठा के मालिक ने अपने पास रख लिये हैं. सभी भाइयों के पास एक परचा तक नहीं है. उनके पिता के जमाने में ही इकरारनामा तैयार किया गया था.