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गांव की हर संपत्ति होती है मुंडा के अधीन

सीकेपी.मानकी-मुंडाओं की विशेष कार्यशाला चक्रधरपुर : गांव का हर संपत्ती मुंडा के अधीन होती है. चल-अचल, भू संपदा आदि सभी मुंडा की अनुमति के बिना कहीं नहीं ले जाया जा सकता है. क्रय विक्रय से मुंडा को जो कमीशन प्राप्त होता है, वह मुंडा के आय का स्रोत है. उक्त बातें रविवार को चक्रधरपुर में […]

सीकेपी.मानकी-मुंडाओं की विशेष कार्यशाला

चक्रधरपुर : गांव का हर संपत्ती मुंडा के अधीन होती है. चल-अचल, भू संपदा आदि सभी मुंडा की अनुमति के बिना कहीं नहीं ले जाया जा सकता है. क्रय विक्रय से मुंडा को जो कमीशन प्राप्त होता है, वह मुंडा के आय का स्रोत है. उक्त बातें रविवार को चक्रधरपुर में मानकी-मुुंडाओं के दो दिवसीय कार्यशाला सह बैठक में कही. कार्यशाला का आयोजन 23 व 24 अप्रैल को मानकी-मुंडा सभागर में किया गया था. इस कार्यशाला में कई सवाल उभरे, जिसका समाधान भी कार्यशाला में ही निकला. ग्रामीणों की देखभाल और परिवारों का भरण पोषण के मुद्दे पर कहा गया कि मुंडा पूरे गांव का मालिक होता है.
बैठक में मानकी-मुंडा व्यवस्था की असफलता पर बात सामने आयी कि मानकी-मुंडा अब तक अपने अधिकार को नहीं समझ पाये हैं. गांव का राजस्व पर दूसरों का अधिकार रहने से यह व्यवस्था फेल है. मानकी-मुंडा व्यवस्था के बीच खेवटदार की नियुक्ति पर गांव के संचालन में उत्पन्न होने वाले उठे सवाल पर तय हुआ कि मानकी-मुंडा, खेवटदार व रैयत की आपसी तालमेल से ही गांव की व्यवस्था चलेगी. कोई कंपनी या पुलिस का प्रवेश गांव में इनकी अनुमति के बिना नहीं हो सकती.
कार्यशाला में अधिकार तय करते हुए बताया गया कि मानकी-मुंडा द्वारा जाति, आय व आवासीय प्रमाण पत्र निर्गत किया जा सकता है. जिसकी मान्यता केवल राज्य सरकार नहीं बल्कि भारत सरकार भी प्रदान करती है. यदि कोई धर्मांतरण करता है तो केवट संख्या 1 को पूर्ण अधिकार है कि उस व्यक्ति के प्राप्त सभी अधिकार छीन लें. मानकी-मुंडा व्यवस्था के लिए फंड की व्यवस्था के संदर्भ में उठे सवाल पर सहमति बनी कि क्षेत्र के चल व अचल संपत्ति, भूसंपदा, वन संपदा सभी मानकी-मुंडा व्यवस्था के अधीन है.
इसके आयात-निर्यात, क्रय-विक्रय से राजस्व प्राप्त होगा. मानकी-मुंडा को कोई वेतन या मानदेय नहीं बल्कि केवल कमीशन मिलने का व्यवस्था है. जिसमें आदिवासी शक्ति पीठ छत्तीसगढ़ से आये प्रशिक्षक सह सलाहकार जुम्बल बिरुवा, मंगलसिंह बिरूवा, रमेश सिरका, सामु हांसदा, माझी सोय, सुश्री गीता लागुरी, लीठा बानसिंह, केएन पालिया आदि ने विलकिंसन रूल्स और भारत का संविधान के अनुच्छेद 13 एवं 368(4) और 372(2) तथा अनूसुचित जिला अधिनियम 1874 की धार 3 के तहत उपस्थित लोगों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी.
बैठक सह प्रशिक्षण के बाद पारंपारिक रीति-रिवाज व वेशभूषा से सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. मंच संचालन उदयचंद्र बोदरा व माटुराम हेंब्रम ने किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में कोल्हान गवर्नमेंट ईस्टेट, खेवटवार(मालिक) संख्या एक के मौजा बांझीकुसुम पीड़ चक्रधरपुर के मुंडा कृष्णा चांपिया, मौजा कुमारलॉग पीड़ के मुंडा गणेश पुरती, उलिडीह इचिंडा पीड़ के मुंडा रामचंद्र बोदरा, पोनासी पीड़ के मुंडा छोटेलाल गागराई आदि का सराहनीय योगदान रहा.
आंदोलन के एक वर्ष बाद युवकों को नहीं दी नौकरी
मनोहरपुर. बार-बार सेल की उपेक्षा से त्रस्त स्थानीय युवाओं ने रोजगार के लिए मई 2015 में आंदोलन का बिगुल फूंक था.
12 मई को सेल के विभिन्न पदों में योगदान देने के लिये कुल आठ चयनित अभ्यर्थी योगदान देने चिरिया पहुंचे थे.जिन्हें स्थानीय युवकों के आक्रोश के बाद वापस जाना पड़ा था. 27 मई को स्थानीय बेरोजगारों ने सेल प्रबंधन को तीन सूत्री मांग पर सौंप कर सकारात्मक कार्रवाई की अपील की थी. 21 सितंबर से 27 सितंबर 2015तक भूख हड़ताल किया गया.
पांच अक्तूबर से ट्रांसर्पोटिंग ठप कर दिया. लेकिन पंचायत चुनाव के कारण युवाओं ने आंदोलन स्थगित कर दिया.
सेल के सीएसआर कार्यों की करायेंगे जांच :मधुकोड़ा
पूर्व सांसद सह पुर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने सेल के कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुये इसके कार्यो की जांच कराने की बात कही है.उन्होंने कहा कि सेल के कार्यो की जांच की मांग जायेगी,जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी किया जायेगा.

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