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एक जलमीनार के भरोसे लाल बाजार गांव के 50 परिवार

एक जलमीनार के भरोसे लाल बाजार गांव के 50 परिवार

चक्रधरपुर.

बंदगांव प्रखंड की कराइकेला पंचायत के लाल बाजार गांव में न पेयजल की व्यवस्था है और न स्वास्थ्य केंद्र की. जिला मुख्यालय से यह गांव लगभग 45 किमी दूर है. इस गांव में कालिंदी परिवार के 45 से 50 घर है. गांव की आबादी 250 के आसपास है. इस गांव के ग्रामीणों की सबसे बड़ी परेशानी पेयजल है. 250 आबादी वाले इस गांव में मात्र एक जलमीनार है. सुबह से पानी के लिए ग्रामीणों की घंटों कतार लगती है. जलमीनार से कम मात्रा में पानी निकलता है. ग्रामीण कई साल से गांव में दो और चापाकल स्थापित करने की मांग कर रहे हैं, अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं की गयी है. जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक पदाधिकारी मौन साधे हैं.

इलाज के लिए कराइकेला या चक्रधरपुर जाना पड़ता है

लाल बाजार गांव में स्वास्थ्य को लेकर कोई सुविधा नहीं है. गांव में यदि कोई बीमार पड़ते हैं तो कराइकेला उप स्वास्थ्य केंद्र या चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल ले जाना पड़ता है. ग्रामीण ने कई बार गांव के आसपास स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग की है, पर अभी तक ग्रामीणों को यह सुविधा नहीं मिली है. गांव में एक भी सामुदायिक भवन नहीं है. शादी-विवाह व अन्य कार्यक्रम के लिये ग्रामीणों को काफी परेशानी होती है. लगभग 15 वर्ष पूर्व विधायक निधि से इस गांव में सामुदायिक भवन का निर्माण शुरू हुआ था, जो आजतक अधूरा पड़ा है.

सरकार जल्द भूमिपट्टा का लाभ दे

नकटी जलाशय के विस्थापितों को लाल बाजार गांव में बसाया गया, आज तक इन ग्रामीणों को भूमि पट्टा नहीं दिया गया. इस गांव के दर्जनों बच्चे विभिन्न स्कूलों में अध्ययनरत हैं. सरकारी सुविधा लेने के लिए स्कूलों में आय व आवासीय प्रमाण पत्र की जरूरत पड़ती है. भूमि पट्टा नहीं मिलने से ग्रामीणों को आय व जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है. ग्रामीणों ने विभाग से जल्द भूमिपट्टा देने की मांग की है.

बांस से सामग्री तैयार कर करते हैं गुजारा

लाल बाजार गांव के ग्रामीण की रोजी-रोटी का साधन मजदूरी है. दिन भर पूरे परिवार के लोग बांस से टोकरी, सूप, खांची आदि तैयार करते हैं. इसके बाद उसे बाजार में बेचते हैं. कच्चा बांस जंगल से खरीद कर लाना पड़ता है. इस काम में दो से तीन दिन का समय लग जाता है. इसके बाद कुछ पैसा लोगों के घरों तक पहुंचता है. गांव में सुविधा के नाम पर स्कूल व सड़क है. बरसात में ग्रामीणों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. गर्मी के दिनों में पानी का अभाव व बरसात में नकटी जलाशय के रिसने से परेशानी होती है.

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