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सारंडा में पानी के लिए जद्दोजहद, चुआं से बुझती है प्यास
मनोहरपुर : सारंडा की जनता को आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. सारंडा के अधिकांश गांवों की मुख्य समस्या पेयजल है. लौह अयस्क क्षेत्र होने के कारण यहां के जल में प्रचुर मात्र में लौह कण के साथ-साथ बीमारी फैलाने वाले किटाणु के साथ नालों में बहने वाली पानी को उपयोग करना […]
मनोहरपुर : सारंडा की जनता को आज भी पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है. सारंडा के अधिकांश गांवों की मुख्य समस्या पेयजल है. लौह अयस्क क्षेत्र होने के कारण यहां के जल में प्रचुर मात्र में लौह कण के साथ-साथ बीमारी फैलाने वाले किटाणु के साथ नालों में बहने वाली पानी को उपयोग करना यहां के लोगों की नियति बन गयी है.
विगत दो वर्षो से सरकार ने कई विकास योजनाएं चलायी गयी. परंतु पेयजल की दिशा में अब तक सार्थक प्रयास नहीं हो पाया है. इस क्षेत्र में वाटरशेड प्रोग्राम के तहत ग्रामीणों को स्वच्छ जल देने की सरकार की योजना है,परंतु प्रस्तावित गांवों के कलस्टर तैयार होने में आ रही अड़चनों के कारण यह योजना भी सफेद हाथी साबित हो रहा है.
मरकंडा में 10 में छह नलकूपों से नहीं निकलता है पानी
सारंडा का मक रंडा गांव में पानी की समस्या है.गर्मी के दिनों में समस्या और गहरी हो जाती है.चार टोलो के इस मकरंडा गांव में कहने को तो 10 नलकूप हैं. मगर इनमें से आधा दर्जन खराब पड़े हैं. बाकी नलकूपों में पानी काफी मेहनत के बाद आता है.गांव में एकमात्र कुआं है जिसके सहारे यहां के ग्रामीण पेयजल का इस्तेमाल करते हैं.
यहां के लोगों के लिये एकमात्र जीवन दायिनी सामठा नाला है. सामठा नाला में भी गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत हो जाती है. जलस्तर नीचे जाने के कारण यहां के ग्रामीणों को नाले में चुआं खोदकर पानी की जुगाड़ में पूरा दिन व्यतित कर देते हैं.
दुबिल में भी है जल सकंट
सारंडा के दुबिल गांव के लोग सिर्फ नाले के पानी पर निर्भर हैं. स्थानीय विधायक के फंड से कई नलकूप लगाये गये थे. मगर अब इन नलकूपों से पानी नहीं निकल रहा है.
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