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टावर लगाने के नाम पर जमीन की ठगी

बड़बिल : भोले भाले आदिवासियों की जमीनों को बचाने के लिए सरकार जितने चाहे कानून बना ले पर कहीं न कहीं आज भी आदिवासी ग्रामीणों का शोषण हो रहा है. ऐसा ही एक मामला जोड़ा थाना क्षेत्र के बिलाइपदा निवासी संदीप पूर्ति के साथ घटी. उनके साथ ठगी करने वाले और कोई नहीं सरकारी विभाग […]

बड़बिल : भोले भाले आदिवासियों की जमीनों को बचाने के लिए सरकार जितने चाहे कानून बना ले पर कहीं न कहीं आज भी आदिवासी ग्रामीणों का शोषण हो रहा है. ऐसा ही एक मामला जोड़ा थाना क्षेत्र के बिलाइपदा निवासी संदीप पूर्ति के साथ घटी. उनके साथ ठगी करने वाले और कोई नहीं सरकारी विभाग वाले ही हैं.

संदीप पूर्ति को प्रलोभन देकर उनसे उनकी जमीन के एवज में जोड़ा स्थित ग्रिडको (बिजली विभाग) के ठेकेदार के प्रबंधक ने दस्तखत और उनकी धर्म पत्नी बसंती पूर्ति से अंगूठे का निशान लगवा लिया. फरवरी महीने में ठेकेदार मैनेजर प्रदीप ने संदीप पूर्ति से आकर उनकी जमीन पर बिजली का टावर लगाने की बात कही. उसके एवज में 70 हजार रु पये देने की बात कही. साथ ही जीवन भर मुफ्त बिजली देने का प्रलोभन दिया. साथ ही साथ उनसे कहा गया कि हो सकता है आप जो जमीन झारखंड इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को दे रहे हैं, वो जमीन अगर कानपुर जल प्रकल्प क्षेत्र में आयी, तो हम अपना टावर हटा देंगे और आपको मुआवजे में सरकार और पैसे देगी.

संदीप पूर्ति ने उनकी बात मान ली, पर एग्रीमेंट बड़े बेटे दिनेश चंद्र पूर्ति के घर लौटने पर करने की बात कही. दिनेश चंद्र पूर्ति जमशेदपुर गया हुआ था और उसे लौटने में चार दिन लग गये. उसी बीच प्रदीप ने ओड़िया भाषा में लिखे एग्रीमेंट में संदीप पूर्ति से दस्तखत करवा लिया. साथ ही उनकी पत्नी बसंती से भी अंगूठे का निशान लगवा लिया. कुछ दिनों बाद जब दिनेश घर लौटा, तो उसने देखा घर के बगल में सड़क किनारे टावर लगाने के लिए मजदूर खुदाई कर रहे हैं, तो उसने अपने माता पिता से पूछा कि ये क्या बन रहा है, तो पिता संदीप पूर्ति ने सारी कहानी बतायी और ये भी बताया कि टावर अलग जमीन पर लगाने की बात हुई थी, पर ये मनमाने ढंग से अन्य जमीन पर कार्य को आगे बढ़ाते चले हैं.

दिनेश ने जब इस संबंध में प्रदीप से बात की, तो प्रदीप ने और पैसे का प्रलोभन दिया, पर पूरा परिवार उस जमीन पर टावर लगाने का विरोध करते रहे और इधर टावर का काम चलता रहा. जब भी परिवार इसका बिरोध करता, उन्हें सरकारी काम में बाधा देने पर बुरे फंसने का डर दिखाया गया. तंग आकर परिवार ने जबरन काम बंद कराया. दूसरी तरफ प्रदीप ने उलटा थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज कर दिया है. इससे परिवार खुद को अब सरकार से ही पूरी तरह ठगा महसूस कर रहे हैं.

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