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स्मार्ट हेल्थ कार्ड से इलाज की आस में बिगड़ रही बीपीएल परिवारों की सेहत

प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं होने के कारण इलाज ठप स्मार्ट हेल्थ कार्ड की वैद्यता तीन वर्ष थी, लेकिन किसी तरह एक साल हुआ इलाज 2014 से नहीं मिल रही इलाज की सुविधा 40 हजार है स्मार्ट हेल्थ धारकों की संख्या चाईबासा : स्मार्ट हेल्थकार्ड से इलाज कराने के लिए बीपीएल परिवारों के मरीजों को […]

प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं होने के कारण इलाज ठप

स्मार्ट हेल्थ कार्ड की वैद्यता तीन वर्ष थी, लेकिन किसी तरह एक साल हुआ इलाज
2014 से नहीं मिल रही इलाज की सुविधा
40 हजार है स्मार्ट हेल्थ धारकों की संख्या
चाईबासा : स्मार्ट हेल्थकार्ड से इलाज कराने के लिए बीपीएल परिवारों के मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है. जिले में करीब 22 हजार बीपीएल परिवारों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत स्मार्ट हेल्थ कार्ड निर्गत किया गया है. वर्ष 2014-15 में स्मार्ट हेल्थ कार्ड बनाये गये. वर्ष 2016-17 में भी कुछ लोगों के कार्ड बने. निर्गत कार्ड की वैधता तीन वर्ष है, लेकिन इस कार्ड पर एक वर्ष का ही इलाज किसी तरह हो सका. दूसरे वर्ष से ही इलाज बंद हो गया. फिलहाल अक्तूबर 2014 से ही स्मार्ट हेल्थ कार्ड धारक बीपीएल परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है. इस वजह से बीपीएल मरीजों को इलाज के लिए जेवर व जमीन बेचने या गिरवी रखने को विवश होना पड़ रहा है.
अस्पतालों को लाखों का नुकसान
स्मार्ट हेल्थकार्ड से इलाज बंद होने के बाद पश्चिम सिंहभूम के निबंधित अस्पतालों का लाखों रुपये का नुकसान हो गया है. इन अस्पतालों को इलाज में खर्च राशि का भुगतान नहीं किया है. इसमें मुख्य रूप से सूर्या नर्सिंग होम, चक्रधरपुर के लगभग आठ लाख, गायत्री सेवा सदन चाईबासा के सर्वाधिक 34 लाख तथा संजीव नेत्रालय के तीन लाख रुपये का भुगतान बाकी है.
क्या है योजना
बीपीएल व गरीब परिवारों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना करीब दस वर्ष पहले शुरू की गयी. योजना के तहत बीपीएल परिवारों को स्मार्ट हेल्थ कार्ड निर्गत किये गये. तीन वर्ष के लिए निर्गत कार्डों पर एक परिवार के चार सदस्यों के इलाज की सुविधा देने का प्रावधान है.
एक वर्ष में एक परिवार को 30-30 हजार रुपये की राशि का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में कराने की सुविधा है. स्मार्ट हेल्थ कार्ड से बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क ऑपरेशन तथा दवा एवं घर से अस्पताल तक आने जाने के का किराया देने का प्रावधान है. इसके लिए जिले में तीन निजी चिकित्सालयों को अधिकृत किया गया है. स्मार्ट हेल्थकार्ड धारक परिवारों की संख्या लगभग 40 हजार है.
इन अस्पतालों से निबंधित
सूर्या नर्सिंग होम
गायत्री सेवा सदन
संजीव नेत्रालय
खास बातें
पश्चिम सिंहभूम में 22 हजार स्मार्ट हेल्थकार्ड धारक बीपील परिवार हैं
हेल्थकार्ड धारक परिवारों के इलाज के लिए तीन अस्पताल निबंधित हैं
वर्ष 2015 के मार्च महीने से ही बंद है बीपीएल परिवारों का इलाज
2014-17 तक ही वैद्यता थी निर्गत स्मार्ट हेल्थ कार्डों की
पिछले चार वर्षों से लगभग आठ लाख रुपये बिल का भुगतान सरकार की ओर से नहीं हुआ है, जिसके कारण काफी परेशानी होने लगी है. स्वयं का पैसा इलाज में लगाया गया है.
गौरीशंकर महतो, संचालक, सूर्या नर्सिंग होम, चक्रधरपुर

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