लांजी गांव में वर्ष 1964 से संचालित हो रहा है स्कूल
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नाले के पानी से बनता है मिड डे मील, थाली धोकर उसी पानी से प्यास बुझाते हैं विद्यार्थी
लांजी गांव में वर्ष 1964 से संचालित हो रहा है स्कूल चक्रधरपुर : पश्चिमी सिंहभूम के लांजी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को नाले के पानी से बना मिड डे मील परोसा जाता है. बच्चे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं. स्कूल से 150 फीट दूर बरसाती नाले से पानी लाकर एमडीएम […]
चक्रधरपुर : पश्चिमी सिंहभूम के लांजी गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में बच्चों को नाले के पानी से बना मिड डे मील परोसा जाता है. बच्चे नाले के पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं. स्कूल से 150 फीट दूर बरसाती नाले से पानी लाकर एमडीएम तैयार किया जाता है. मध्याह्न भोजन खाने के बाद सभी छात्र वहां जाते हैं और नाले के पानी से थाली धोते हैं. उसी थाली में नाले का पानी लेकर प्यास बुझाते हैं.
नाले का पानी के कारण अक्सर बीमार पड़ते हैं बच्चे : सुंदर भूमिज, एतवार भूमिज, बधनाथ भूमिज, प्यारी हांसदा, सानिका टूटी, समसुती भूमिज, दुलुराज भूमिज, पांडुरामा भूमिज, सोमा मुंडा, रानी मुंडा, सुमी भूमिज, बिरसा मुंडा, चांदमुनी मुंडा, करीना डांगिल, गुरूवा भूमिज, गुरूवा मुंडा, हिसी पुरती, सोमा लोहार, राम हांसदा आदि बच्चों ने कहा कि पानी साफ दिखता है. हम बच्चे नाले के पानी को पीते हैं. पानी के सेवन से हम और हमारे दोस्तों को बराबर बीमारी का सामना करना पड़ता है. जिस कारण कई बच्चे स्कूल नहीं आ पाते है.
नाले में बर्तन-कपड़े साफ करते हैं लोग : विद्यार्थियों ने बताया कि हम जिस नाले में पानी पीते हैं, उसी नाले में जानवर भी आते हैं. इलाके के लोग बर्तन-कपड़े की सफाई करते हैं.
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