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सरकार दूसरों को दे रही आदिवासियों की जमीन

चाईबासा : टाटा कॉलेज चाईबासा के बिरसा मेमोरियल हॉल में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया. अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस आयोजन समिति के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह के दौरान धरती आबा बिरसा मुंडा एवं टाटा कॉलेज के संस्थापक सचिव स्व पूर्ण चंद्र बिरुआ के चित्र पर माल्यार्पण कर आशीर्वाद कर गोहारी गान किया गया. […]

चाईबासा : टाटा कॉलेज चाईबासा के बिरसा मेमोरियल हॉल में अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस धूमधाम से मनाया गया. अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस आयोजन समिति के तत्वावधान में आयोजित इस समारोह के दौरान धरती आबा बिरसा मुंडा एवं टाटा कॉलेज के संस्थापक सचिव स्व पूर्ण चंद्र बिरुआ के चित्र पर माल्यार्पण कर आशीर्वाद कर गोहारी गान किया गया. टीआरटीसी की महिलाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया.

किता सिंकू ने कहा कि सरकार आदिवासियों को विश्वास में नहीं लेकर जमीन पर दूसरों को कब्जा दे रही है. इस प्रकार से आदिवासियों की अस्मिता और अस्तित्व के आधारभूत तत्व जल, जंगल और जमीन उनके हाथों छिनते जा रहे हैं. डॉ टोनी ने कहा कि आदिवासियों का आज भी शोषण जारी है. सीएनटी और एसपीटी एक्ट में संशोधन से अनेक समस्याएं आयेंगी. सभा को कुंकल, मानकी तुबिद, डोबरो बिरुली, प्रोफेसर प्रशांत कुमार और रमेश जेराई ने भी संबोधित किया.
स्वयं सहायता समूह अर्जुन बासा, दुम्बी साई और टीआरटीसी की महिलाओं द्वारा प्रस्तुत की गयी. इस आयोजन समिति में विभिन्न संगठनों के समूह में आदिवासी हो समाज सेवानिवृत्त संगठन, युवा जुमुर , महिला कल्याण केंद्र, जोहार, जिला महिला समिति, टीआरटीसी के अलावा स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं भी शामिल हैं. मंच संचालन सुशीला बोदरा, सत्यअमृता देवगम, बेला जेराई ने भी संबोधित किया.
चक्रधरपुर-आसपास
आनंदपुर : आनंदपुर प्रखंड अंतर्गत कोयल नदी पर पांच करोड़ की लागत से बने 11 स्पैन का समीज पुल 11 दिनों मे दूसरी बार धंसा है. इससे पहले 27 जुलाई को पुल का एक पिलर धंस गया था. पिलर धंसने से स्लैब का झुकाव दक्षिणी दिशा की अोर हो रहा है, जो कि नदी के बहाव दिशा की अोर है. पहली बार जब पुल धंसा था, तब कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार ने पुल का निरीक्षण कर खतरे से बाहर बताया था. कहा था कि सामान्य प्रक्रिया के तहत पिलर सेट हो गया है. वाहनों के आवागमन से पुल पर किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है. आनंदपुर को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाले इस पुल के पिलर धंसने से ग्रामीण चिंतित हैं.
मार्च 2016 में हुआ उदघाटन
समीज पुल बनने के दौरान नक्सलियों द्वारा कई बार काम बंद कराया गया था. अंतिम चरण में सीआरपीएफ के सुरक्षा घेरे में पुल निर्माण कार्य पूरा कराया गया था. 18 मार्च 2016 को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंदजी के विश्व कल्याण आश्रम प्रवास के दौरान पुल का उदघाटन किया था.
जिला मुख्यालय से जोड़ता है पुल: पुल के पिलर धंसने से आनंदपुर प्रखंड के लोगों का जिला मुख्यालय से कटाव हो जायेगा. साथ ही आनंदपुर, गोइलकेरा एवं मनोहरपुर प्रखंड के करीब 30 गांवों का संपर्क एक-दूसरे से कट जायेगा.
समीज के कोयल नदी पर बने पुल के पिलर धंसने के मामले में नदी में पानी कम होने के बाद जांच कर मरम्मत करायी जायेगी. साथ ही मामले में कोई दोषी पाया जाता है, तो कार्रवाई की जायेगी.
अशोक कुमार, कार्यपालक अभियंता, ग्रामीण विकास विभाग, प. सिंहभूम
12 साल में बन कर तैयार हुआ था पांच करोड़ का पुल
समीज एवं विश्व कल्याण आश्रम के बीच कोयल नदी पर बने पुल का शिलान्यास मई 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. 11 पिलर वाले 1000 फीट लंबे इस पुल का निर्माण केके कंस्ट्रक्शन प्रालि, जमशेदपुर द्वारा किया जा रहा था. नक्सली समस्या के कारण महज आठ पिलर खड़ा करने के बाद काम को बंद कर दिया गया.
तब इसकी प्राक्कलन साढ़े तीन करोड़ रुपये थी. दोबारा पुल निर्माण कार्य 1.35 करोड़ की लागत से वर्ष 2011 में जमशेदपुर के उमेश खीरवाल द्वारा शुरू किया गया था. इस दौरान बाकी बचे दो पिलर की जगह तीन नये पिलर खड़े किये गये. इन्हीं तीन पिलरों में से बीच का पिलर धंस रहा है.

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