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शिक्षा क्षेत्रों में सुधार की जरूरत

परिचर्चा. शिक्षा जगत से जुड़े लोग व छात्रों में रखीं अपनी बातें

सिमडेगा. झारखंड ने शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. स्कूलों, विश्वविद्यालयों व नामांकन में वृद्धि हुई है. बजट भी बढ़ा है, फिर भी शिक्षकों की कमी, कमजोर प्राथमिक शिक्षा व अधूरी बुनियादी ढांचा बड़ी चुनौतियां हैं. अब झारखंड बने 25 वर्ष पूरे होने पर इन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है. मनोज प्रसाद ने कहा कि झारखंड की शिक्षा व्यवस्था में पिछले 25 वर्षों में सुधार हुए हैं, जो सराहनीय है. लेकिन रांची से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी अब भी बड़ी चुनौती है. उन्होंने सुझाव दिया कि मेडिकल, इंजीनियरिंग और स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी जैसी संस्थाएं सुदूर इलाकों में स्थापित की जानी चाहिए. रवींद्र सिंह ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 25 वर्ष हो गये, पर शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी. छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए बाहर जाना पड़ता है, जिससे गरीब विद्यार्थियों को नुकसान होता है. उन्होंने सरकार से मांग की कि शिक्षा के साथ रोजगार के अवसर भी राज्य में बढ़ाये जाये. रामनाथ महतो का कहना है कि झारखंड में स्कूल-कॉलेज तो खुल रहे हैं. लेकिन शिक्षकों की कमी से छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल रही है. सरकार को शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, ताकि बच्चे बाहर जाकर छोटी नौकरियों के लिए मजबूर न हों. संगम साहू ने कहा कि झारखंड राज्य बने 25 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन ठेठईटांगर प्रखंड में आज तक डिग्री कॉलेज नहीं खुला है. आइटीआइ भी अभी चालू नहीं हुआ है. अगर सरकार शीघ्र इसे शुरू करे, तो स्थानीय छात्रों को शिक्षा और करियर दोनों में लाभ मिलेगा. बबलू सोनार का कहना बिल्कुल सही है कि झारखंड के युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ना राज्य के विकास की कुंजी है. सरकार को औद्योगिक निवेश, कौशल विकास और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि युवाओं की क्षमता का सही उपयोग हो सके और बेरोजगारी कम हो. शिवम द्विवेदी ने कहा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप मिलने से शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित होंगे. यह कदम शिक्षा में असमानता कम करेगा और प्रतिभाशाली लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को अपने सपनों को साकार करने का अवसर देगा. मनोज प्रसाद ने कहा झारखंड ने शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. परंतु सुदूर क्षेत्रों में उच्च और तकनीकी शिक्षा संस्थानों की कमी अब भी चिंता का विषय है. मेडिकल, इंजीनियरिंग और खेल विश्वविद्यालयों की स्थापना से ग्रामीण प्रतिभाओं को नयी दिशा और अवसर मिलेंगे. निशांत कुमार ने कहा झारखंड की शिक्षा व्यवस्था ने विकास किया है, परंतु शिक्षक की कमी, कमजोर गुणवत्ता और बुनियादी ढांचे की खामियां अब भी दूर नहीं हुई हैं. राज्य सरकार को चाहिए कि 25 वर्ष पूरे होने पर इन मूल समस्याओं पर ठोस कदम उठाया जाये.

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Prabhat Khabar News Desk
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