बिरसा मुंडा जयंती पर विचार गोष्ठी का आयोजन फोटो फाइल: 16 एसआइएम:3-प्रार्थना करते लोग सिमडेगा. सरना स्थल में रविवार को संयुक्त आदिवासी मोर्चा के तत्वावधान में धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती सह झारखंड स्थापना दिवस के 25वें वर्षगांठ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत नगर भवन परिसर में बाबूलाल पाहन की अगुवाई में पारंपरिक पूजा-पाठ से हुई. इसके बाद भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया. इसके उपरांत सरना स्थल में क्या खोया, क्या पाया और भविष्य की संभावनाएं एवं चुनौतियां” विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. वक्ताओं ने राज्य सरकार के कार्यकलापों पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि झारखंड बनने का सपना आदिवासियों के स्वशासन, जल, जंगल,जमीन की रक्षा और सम्मान जनक जीवन का था.किंतु 25 साल में सत्ता बदलती रही लेकिन व्यवस्था नहीं बदली. पूर्व विधायक बसंत कुमार लोंगा, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्री भगत, नील जस्टिन बेक, अनुप लकड़ा, प्रदीप टोप्पो, रोशन डुंगडुंग, अजय एक्का, बिपिन डुंगडुंग, जगनमोहन भोय, पंकज टोप्पो आदि ने विचार रखे. गोष्ठी में पेसा नियमावली, सीएनटी,एसपीटी एक्ट के उल्लंघन पर कड़ी नाराजगी प्रकट की गयी. जमीन की सुरक्षा के नाम पर धोखा दिये जाने की बात कही गयी.बेरोजगारी और पलायन में भारी वृद्धि पर चिंता व्यक्त की गयी. नेताओं ने स्पष्ट कहा कि यदि राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी आदिवासी समाज अपने मूल अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है, तो यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की भारी कमी का परिणाम है. केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष हरिश्चंद्र भगत ने कहा कि बिरसा मुंडा का संदेश था कि अपनी जमीन, अपनी व्यवस्था, अपना शासन,किंतु आज भी हम वही मांग रहे हैं जो मांग पहले कर रहे थे.कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुनील मिंज, विकास कंडुलना, इसीदोर केरकेट्टा, रेजिना टोप्पो, मनोज उरांव, दीपक लकड़ा, मसकलन जोजो, अंजलिता बरला, सुष्मिता बरला, रूपवंती उरांव, स्मिता तिर्की, सुलाता डुंगडुंग, सुबोध उरांव, झरना उरांव आदि उपस्थित थे.
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