सिमडेगा. झारखंड शिक्षा परियोजना समग्र शिक्षा सिमडेगा द्वारा पर्यटन स्थल केलाघाघ डैम परिसर में जिला स्तरीय मुखिया सम्मेलन का हुआ. सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों को विद्यालय प्रबंधन, पठन-पाठन की गुणवत्ता, नामांकन वृद्धि, आधारभूत सुविधाओं के विकास तथा समुदाय की सहभागिता व निगरानी व शैक्षिक आयामों के प्रति जागरूक व सक्षम बनाना था. कार्यक्रम का उदघाटन उपायुक्त कंचन सिंह, पुलिस अधीक्षक एम अर्शी, जिला परिषद उपाध्यक्ष सोनी पैंकरा तथा मुखिया संघ के अध्यक्ष एवं सचिव द्वारा संयुक्त रूप से किया. मौके पर जिला शिक्षा पदाधिकारी मिथिलेश केरकेट्टा, जिला शिक्षा अधीक्षक दीपक राम, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सूरज मुन्नी कुमारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी पलटू महतो, सांसद प्रतिनिधि डीडी सिंह, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी समेत अन्य पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित थे. उपायुक्त ने कहा कि ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को ग्राम स्तर पर मजबूत बनाने में मुखियाओं का महत्वपूर्ण भूमिका है. मुखिया अपने क्षेत्र के विद्यालयों के संरक्षक होते हैं और विद्यालय की प्रगति सीधे तौर पर उनके नेतृत्व और सक्रियता पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर जनप्रतिनिधियों की निरंतर भागीदारी से ही नामांकन बढ़ेगा, बच्चों की उपस्थिति सुधरेगी और आधारभूत संरचना में तेजी से सुधार होगा. उन्होंने मुखियाओं से आग्रह किया कि वह प्रत्येक विद्यालय की नियमित निगरानी करें और शिक्षक-छात्र उपस्थिति, पठन-पाठन, साफ-सफाई तथा मध्याह्न भोजन व्यवस्था पर निरंतर नजर रखें. कहा कि यदि किसी पंचायत में पांच गांव हैं, तो प्रत्येक वार्ड सदस्य अपनी भूमिका के अनुसार अलग-अलग स्कूलों का दौरा कर सकते हैं. इससे शिक्षकों में जवाबदेही बढ़ती है और बच्चों में उत्साह आता है. उपायुक्त ने आवासीय विद्यालयों की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे विद्यालयों में रहने वाले छोटे बच्चे अपने परिवार से दूर रहते हैं. इन बच्चों को मानसिक, नैतिक और भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता होती है. उन्होंने मुखियाओं से अपील की कि वह सप्ताह में कुछ समय बच्चों के साथ बितायें, खेलकूद करायें, प्रेरणात्मक बातें बतायें और पढ़ाई में मार्गदर्शन दें. पुलिस अधीक्षक एम अर्शी ने कहा कि मुखिया सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है कि शिक्षा को लेकर ग्राम स्तर तक जागरूकता फैले. मुखिया अपने गांव के सबसे जागरूक, सक्षम और सक्रिय व्यक्ति होते हैं, इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. मुखियाओं के पास अपने क्षेत्र की हर समस्या और समाधान का ज्ञान होता है. यदि वह संकल्पित होकर कार्य करें, तो गांव का हर बच्चा बेहतर शिक्षा पा सकता है.
जनप्रतिनिधियों ने भी रखीं अपनी समस्याएं
सम्मेलन में जिला परिषद उपाध्यक्ष समेत विभिन्न पंचायतों के मुखियाओं ने बच्चों से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दे उपायुक्त के समक्ष रखे. जिला परिषद उपाध्यक्ष ने बताया कि डोमरा, चीक बड़ाइक, मलार, तुरी आदि समुदायों के बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बन पाने में अक्सर कठिनाई होती हैं. क्योकि उनके पास आवश्यक दस्तावेज न होने के कारण उन्हें शिक्षा और छात्रवृत्ति योजनाओं में गंभीर परेशानियां आती हैं. उन्होंने उपायुक्त से आग्रह किया कि इन सभी मामलों के समाधान के लिए विशेष पहल की जाये. उपायुक्त ने आश्वस्त किया कि ऐसे सभी मामलों में प्राथमिकता के साथ कार्रवाई की जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

