सिमडेगा. एक विचाराधीन कैदी को झारखंड उच्च न्यायालय ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह आधार कार्ड प्रस्तुत करने के बाद ही जमानत पा सकेगा. बंदी छोटन चिक बड़ाइक ने अदालत में आधार कार्ड दाखिल किया. किंतु आधार कार्ड एडीजे की अदालत ने फर्जी पाया. छोटन चिक बड़ाइक का फर्जी आधार कार्ड बनाने में मो इमरान ने सहयोग किया था. जाली आधार कार्ड बनाकर अदालत में दाखिल करने में मदद करने वाले मो इमरान की पीडीजे राजीव कुमार सिन्हा की अदालत ने जमानत याचिका खारिज कर दी. अदालत ने पाया कि उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों और आरोप की प्रकृति और मामले को देखते हुए याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करने के पक्ष में नहीं है.
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