सरायकेला.
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से गुजरात के एकतानगर (केवड़िया) में आयोजित भारत पर्व में झारखंड की समृद्ध लोकनृत्य परंपरा सरायकेला शैली की छऊ कला ने अपनी सतरंगी छटा बिखेरी. राजकीय छऊ कला केंद्र के पूर्व निदेशक, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित छऊ गुरु तपन पटनायक के नेतृत्व में कलाकारों ने मंच पर एक से बढ़कर एक मनमोहक प्रस्तुतियां दीं. इनमें नाविक, राधा-कृष्ण, आरती, फूलो बसंत जैसे पारंपरिक नृत्यों के साथ-साथ ‘माटीर मोनीषो’ (मिट्टी के मानव) झारखंड के किसानों को समर्पित विशेष नृत्य और पताका नृत्य प्रमुख आकर्षण रहे. छऊ कलाकारों की इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया. उपस्थित कला-प्रेमियों और समीक्षकों ने इसे “उच्च कोटि की लोककला” बताते हुए सराहना की. गुरु तपन पटनायक ने जानकारी देते हुए बताया कि इस भारत पर्व में देशभर के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने अपनी-अपनी लोककलाओं का प्रदर्शन किया. झारखंड की ओर से सरायकेला जिले के कलाकारों ने छऊ नृत्य शैली का प्रतिनिधित्व किया और राज्य की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत को मंच पर जीवंत किया. छऊ नृत्य प्रस्तुत करने वालों में गुरु तपन कुमार पटनायक, देवराज दुबे, गोपाल पटनायक, गणेश परिखा, प्रदीप कुमार कवि, सुश्री कुसुमी पटनायक, श्रीमती गीतांजलि हेम्ब्रम, रजतेन्दु रथ, धसरा महतो, प्रफुल्ल नायक, ठंगरु मुखी, गंभीर महतो शामिल थे. इसके अलावा कोलकाता से सुश्री सौमित्रा भौमिक, रांची से बरखा लकड़ा, मेदनीपुर से अनन्या विश्वास और ओडिशा से शुभश्री महंती ने भी मंच पर शानदार प्रस्तुति देकर खूब सराहना बटोरी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

