सरायकेला : कोल्हान के सरायकेला जिला में सूर्यमुखी, बादाम जैसे तेलहन फसल के बाद अब सोयाबनी की भी खेती होगी. इसके लिए सरायकेला जिला में विभागीय पहल शुरू कर दी गयी है.
जिला कृषि विभाग द्वारा सभी नौ प्रखंड के 120 एकड़ भू भाग पर सोयाबीन की खेती की तैयारी की गयी है. सोयाबीन खेती कोल्हान प्रमंडल के तीनों जिले में सिर्फ सरायकेला–खरसावां में की जायेगी. इसकी खेती से किसानों को कम लागत पर अधिक उत्पादकता के साथ मुनाफा भी अधिक होगा.
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी कालीपद महतो ने बताया कि इस वर्ष सोयाबीन की खेती एक प्रयोग के तौर पर की जा रही है, इसमें जिला के प्रगतिशील किसानों को भी शामिल किया है, इसके लिए विभाग द्वारा बीज भी उपलब्ध कराया गया है.
115 दिन में तैयार होते हैं पौधे
सोयाबीन के पौधा 115 दिन में तैयार हो कर फल भी दे देने लगते हैं. सोयाबीन की खेती एकदम टांड जमीन पर होती है. जिस जमीन पर कोई भी फसल नहीं होती, उस जमीन पर सोयाबीन की खेती होती है. इसकी खेती में काफी कम पानी की आवश्यकता होती है. इस फसल की और खासियत है कि इसमें रोग कम ही लगते हैं. रोग कम लगने के कारण उपज पर प्रभाव भी कम ही पड़ता है.
प्रोटीन से भरपूर से सोयाबीन
सोयाबीन प्रोटीन से भरपुर होते हैं. इससे तेल, दूध व बड़ी बनता है. बड़ी को आम तौर पर सब्जी के रूप में खाया जाता है, जबकि तेल कॉलेस्ट्रोल मुक्त रहता है. सोयाबीन तेल की बाजार में काफी अधिक डिमांड है. प्रोटीन से भरपुर रहने के कारण यह शरीर के लिए काफी लाभदायक माना जाता है.