बरहरवा. प्रखंड के मिर्जापुर स्थित मां शुक्रवासिनी मंदिर में बैशाख माह के तीसरे शुक्रवार को काफी धूमधाम से पूजा-अर्चना संपन्न हुई. भक्तों ने मां को दूध व गंगाजल से स्नान कराकर पूजा-अर्चना की. उक्त मंदिर झारखंड-पश्चिम बंगाल की सीमा पर गंगा तट से कुछ ही दूरी पर झील के किनारे अवस्थित है. यहां बरहरवा के अलावे राजमहल, तीनपहाड़, पाकुड़ व पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों से श्रद्धालु पूजन के लिये पहुंचते हैं. जानकारी के अनुसार, मंदिर में माता शुक्रवासिनी को दुग्ध स्नान की परंपरा काफी पुरानी है. लोग इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व का जिक्र करते हुये कहते हैं कि मिर्जापुर के घने जंगलों के बीच मां शुक्रवासिनी एक पेड़ के नीचे विराजमान थी. बैशाख माह में माता शुक्रवासिनी को दुग्ध स्नान कराने के लिये काफी श्रद्धालु यहां आते थे. वर्तमान समय में स्थानीय लोगों के अथक प्रयास से माता शुक्रवासिनी का भव्य मंदिर बनकर तैयार है. दूर-दराज से भक्तगण यहां माता की पूजा-अर्चना करने के लिये यहां आते हैं. लोग मानते हैं कि यहां माता को जितना भी दुग्ध स्नान कराया जाता है, वह न जाने पेड़ के तने के सहारे कहां विलुप्त हो जाता है. मौके पर समिति के अध्यक्ष डुब्बा मंडल, पवन मंडल, श्यामचंद्र मंडल, बिफल मंडल, अधीर रविदास, सुदर्शन मंडल, राजकुमार मंडल, बिनोद पंडित, नगरदीप मंडल सहित अन्य मौजूद थे.
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