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ओके :: फ्लैग. उदासीनता .देखरेख के अभाव में अस्तित्व खो रहा स्वामी विवेकानंद स्टेडियमउद्देश्य से भटक बना पशुओं का चारागाह स्टेचहारदीवारी, मुख्य गेट का ग्रील भी टूटा35 लाख की लागत से 2003 में बना था स्टेडियमनहीं होती खेल प्रतियोगिताएं, स्टेडियम बदहालफोटो संख्या. 07,08 व 09-बरहरवा से जा रहा है.कैप्सन. स्वामी विवेकानंद स्टेडियम, टूटी चहारदीवारी व […]

ओके :: फ्लैग. उदासीनता .देखरेख के अभाव में अस्तित्व खो रहा स्वामी विवेकानंद स्टेडियमउद्देश्य से भटक बना पशुओं का चारागाह स्टेचहारदीवारी, मुख्य गेट का ग्रील भी टूटा35 लाख की लागत से 2003 में बना था स्टेडियमनहीं होती खेल प्रतियोगिताएं, स्टेडियम बदहालफोटो संख्या. 07,08 व 09-बरहरवा से जा रहा है.कैप्सन. स्वामी विवेकानंद स्टेडियम, टूटी चहारदीवारी व उखड़ा गेट प्रतिनिधि, बरहरवा जिले में खेल प्रतियोगिता व खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया स्वामी विवेकानंद स्टेडियम बदहाल हो गया है. 35 लाख की लागत से 2003 में बरहरवा उच्च विद्यालय स्थित स्वामी विवेकानंद क्रीडांगण स्टेडियम बनाया गया था. चापाकल से जल निकासी नहीं रहने के कारण मैदान कीचड़मय हो गया है. प्रशासनिक उदासीनता व देखरेख नहीं होने के कारण खेल का मैदान पशुओं का चारागाह बन गया है. मैदान की चहारदीवारी व मुख्य प्रवेश द्वार का गेट भी टूट चुका है. जो अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है. हर वर्ष गणतंत्र व स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पूरे बरहरवा के विद्यालयों से झांकियां निकलकर मैदान में पहुंचती है. जिसके बाद वहां अपने-अपने स्तर से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है. परंतु खेल मैदान अब खिलाड़ियों को देखने के लिये तरसता है.कभी होता था प्रदेश स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट राजमहल लोकसभा सांसद तत्कालीन स्व थॉमस हांसदा ने बिहार,बंगाल व झारखंड के खिलाड़ियों के बीच स्टूडेंट क्लब की ओर से डे-नाइट क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था. आयोजन में प्रदेश स्तर के अव्वल खिलाड़ी भी शिरकत कर अपनी प्रतिभा दिखाते थे.कहां-कहां से पहुंचती थी टीमेंकहां-कहां आती थी टीमें टूर्नामेंट में बहरमपुर, मालदा, जंगीपुर, आसनसोल, फरक्का, दुमका, देवघर, रांची, भागलपुर, कहलगांव, बेगूसराय, बड़हैया, पूणिया के अलावा कई जगहों से की टीमें टूर्नामेंट में हिस्सा लेती थीं.क्या कहते हैं खेलप्रेमीफोटो-03-मोजाहिद हकसाफ-सफाई व देखरेख के अभाव में स्टेडियम बदहाल हो गया है. गंदगी का अंबार लगा रहता है. इससे खेलने में काफी परेशानी होती है.फोटो-04-दिनेश सिंहक्रिकेट खेलने के लिए स्वयं पिच का निर्माण करते हैं. लेकिन 8-10 दिन बाद असामाजिक तत्वों के लोग पिच को नष्ट कर देते हैं. खिलाड़ी यहां खेलने आना नहीं चाहते हैं.फोटो-05-संजय रायस्टेडियम में कुछ लोग जबरदस्ती दबदबा बनाये हुये हैं. खेलने में काफी परेशानी होती है. प्रशासन की ओर से हमलोगों को कोई सहयोग नहीं मिलता है.फोटो-06-सोनू कुमारस्टेडियम की चहारदिवारी टूटने लगी है. इस कारण मवेशी स्टेडियम में प्रवेश कर जाते हैं. प्रशासन का यदि सहयोग मिला तो यह स्टेडियम अपनी पुरानी पहचान में आ जाता.क्या कहते हैं अंचलाधिकारीअंचलाधिकारी विनोद राम ने कहा कि स्वामी विवेकानंद स्टेडियम में अगर कहीं अनाधिकृत रूप से अतिक्रमण हुआ है. तो मामले की जांचकर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी.

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