23.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

HIV पॉजिटिव होने के बावजूद झारखंड की इन महिलाओं ने नहीं हारी हिम्मत, समाज में फैला रही जागरूकता

यह कहानी रांची की एक एचआइवी पॉजिटिव महिला की है. उन्होंने बताया कि पति टीबी से ग्रसित थे. वर्ष 2007 में जब जांच हुई, तो पता चला कि वे एचआइवी से संक्रमित हो चुके हैं.

रांची : एड्स को लेकर कई भ्रांतियां हैं. एड्स पीड़ितों को समाज में उपेक्षा झेलनी पड़ती है. हालांकि कुछ ऐसे भी लोग हैं जो एचआइवी पॉजिटिव होने के बावजूद लोगों को जीने की हिम्मत दे रहे हैं. उन्हें समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. आज वर्ल्ड एड्स दिवस पर कुछ ऐसी ही महिलाओं की हिम्मत और जज्बात की कहानी, जिन्होंने इस बीमारी की वजह से हताश होने या जीना छोड़ देने के बारे में कभी नहीं सोचा, बल्कि अपनी ताकत बना डाला. आज ये महिलाएं घूम-घूम कर ना लोगों को इस बीमारी के बारे में बता रही हैं. एचआइवी पीड़ितों को सही राह दिखा रही हैं.

एड्स से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में जुटी हैं

यह कहानी रांची की एक एचआइवी पॉजिटिव महिला की है. उन्होंने बताया : पति टीबी से ग्रसित थे. वर्ष 2007 में जब जांच हुई, तो पता चला कि वे एचआइवी से संक्रमित हो चुके हैं. इसके बाद मेरी भी जांच हुई. मैं भी संक्रमित पायी गयी. इसके बाद हम दोनों का संबंध काफी तनावपूर्ण हो गया. मैं डिप्रेशन में चली गयी. पहले तो दवा भी तुरंत नहीं मिल पाती थी. आखिरकार पति ने ही मदद की. अपने साथ मेरा भी इलाज कराया. उन्होंने एड्स कंट्रोल सोसाइटी के बारे में बताया. इसके बाद मैं साेसाइटी से जुड़कर बिहान प्रोजेक्ट के लिए काम करने लगी. आज भी एड्स पीड़ितों के लिए काम कर रहीं हूं. दूरदराज गावों में एड्स से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में जुटी हूं. मन में शंका थी कि अब तो मेरी जिंदगी चंद वर्षों की है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है.

एचआइवी पॉजिटिव व्यक्ति से दूसरी शादी की

संघर्षों और उम्मीदों से भरी यह कहानी दुमका की एक एचआइवी पॉजिटिव पीड़िता की है. वह बताती हैं : एड्स के कारण ही पहले पति की मौत हो गयी. मैं भी संक्रमित थी. पति के जाने के बाद साथ में एक बेटी थी. उसके पालन-पोषण के लिए एनजीओ में नौकरी की. इसी दौरान एक ऐसे व्यक्ति से मुलाकात हुई, जो खुद एचआइवी पॉजिटिव थे. इसके बाद हमदोनों ने शादी करने का निर्णय लिया. जिंदगी आगे बढ़ने लगी. फिर तीन वर्ष पहले एक बेटा भी हुआ. हमारा परिवार खुशी-खुशी रांची में रह रहा है. एड्स की दवा खाकर संक्रमित भी सामान्य जीवन जी सकते हैं.

Also Read: World Aids Day: झारखंड में लगातार बढ़ रहे हैं HIV संक्रमित मरीज, सबसे अधिक इस जिले में
न पति है, न बेटा, दूसरे को दिखा रही हैं राह

धनबाद की एक पीड़िता ने बताया : मेरी शादी 2010 में हुई. एक साल बाद बेटा भी हुआ, लेकिन तब पता नहीं था कि मैं एचआइवी पॉजिटिव हूं. यह संक्रमण पति से मिला था. बेटा भी पॉजिटिव हो गया. 2011 में सबसे पहले बेटे की मौत हो गयी. इसके बाद 2012 में पति का भी निधन हो गया. अब अपना जीवन जीने के लिए एड्स कंट्रोल सोसाइटी से जुड़ गयी. अभी धनबाद में केयर एंड सपोर्ट सेंटर चला रहीं हूं. एचआइवी पॉजिटिव एड्स से जुड़ कर काम कर रही हूं. मैं पॉजिटिव होकर अपना सब कुछ खो चुकी हूं. अब कोशिश है कि कम से कम औरों को जीने की राह मिल जाये.

शादी के बाद पता चला कि पति एचआइवी पॉजिटिव हैं

लोहरदगा की एक पीड़िता ने बताया : शादी के बाद पता चला कि पति एचआइवी पॉजिटिव हैं. उनका इलाज चल रहा था. हालांकि वे काफी सहमे हुए थे. लोग उनके साथ अछूत की तरह व्यवहार करते थे. उन्हें लगता था कि वे इस समाज के तानों का कैसे सामना कर सकेंगे. आखिरकार 2014 में उन्होंने आत्महत्या कर ली. अब समझ नहीं आ रहा था कहां जाऊं. तब तक मैं भी पॉजिटिव हो चुकी थी. इसके बावजूद किसी पर बोझ बनने से बेहतर अकेले जीवन जीने का निर्णय लिया. अभी एचआइवी केयर और सपोर्ट सेंटर में सेवा दे रही हूं. जो लोग संक्रमित होने पर जिंदगी से हार मान लेते हैं, उन्हें जीना सीखा रहीं हूं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें