28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

विश्व पर्यावरण दिवस : झारखंड की बिगड़ रही आबोहवा, रांची के हरमू नदी में ऑक्सीजन नहीं

पर्यावरण के किसी भी मानक में झारखंड की स्थिति अच्छी नहीं है. यहां का आबोहवा बिगड़ रहा है. यह एक चिंता की बात है. राज्य की कुछ नदियां इतनी प्रदूषित है कि इनमें जलीय जीव नहीं रह सकते. रांची के हरमू नदी में ऑक्सीजन तक नहीं है.

रांची, मनोज सिंह : पर्यावरण के किसी भी मानक पर झारखंड की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यहां प्रदूषण के कई कारक देश में सबसे खराब हैं. देश के टॉप-10 प्रदूषित शहरों की सूची में झारखंड का धनबाद शामिल है. वहीं, राज्य की कुछ नदियां इतनी प्रदूषित है कि इनमें जलीय जीव नहीं रह सकते हैं. जबकि, देश में सबसे अधिक सूखा पड़नेवाले जिला भी झारखंड में ही है. जंगलों की वजह से इस राज्य का नाम ‘झारखंड’ पड़ा है. यहां जंगल तो बढ़ रहे हैं, लेकिन घने जंगल घट रहे हैं. इसरो की रिपोर्ट में जिक्र है कि यहां की जमीन बंजर होती जा रही है. इसके बावजूद यहां पर्यावरण को प्रदूषित होने रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं. पर्यावरण संरक्षण के लिए जो पैसा मिल रहा है, वह भी खर्च नहीं हो पा रहा है. अब तक सभी जिलों का क्लाइमेट एक्शन प्लान नहीं बन पाया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बार-बार सभी जिलों में प्रदूषण का स्तर जानने के लिए उपकरण लगाने को कहा रहा है. इसके बावजूद मात्र दो स्थानों की रिपोर्ट ही भारत सरकार को मिल पा रही है.

200 से अधिक रहता है धनबाद का एक्यूआई

देश-दुनिया को अपने कोयला से रोशन करनेवाले झारखंड के लिए कहीं-कहीं यह अभिशाप भी है. झारखंड में करीब 30 हजार लोगों की मौत कारण प्रदूषण है. ब्रिटिश जर्नल लैनसेट कमीशन के आंकड़े बताते हैं कि 2017 में एक लाख में 100 लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हुई. राज्य की वर्तमान आबादी के हिसाब से करीब 30 हजार लोगों की मौत वायु प्रदूषण से हर साल हो रही है. धनबाद जैसे शहर में औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 200 के पार रहता है. राज्य के एक-दो जिलों को छोड़ दें, तो किसी भी जिले का औसत एक्यूआई 100 से नीचे नहीं है.

हरमू नदी में ऑक्सीजन ही नहीं

झारखंड में कई नदियों में उद्योगों का कचरा नदियों में गिराया जाता है. शहरों में सीवरेज ट्रिटमेंट प्लांट नहीं होने के कारण घरों का कचरा नदियों में गिराया जाता है. यही कारण है कि राजधानी के बीचो-बीच स्थित हरमू नदी करीब 80 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी ठीक नहीं हो सकी. यहां का पानी जलीय जीवों के जीने के लायक भी नहीं है. हरमू नदी के पानी में दो मिली ग्राम से भी कम ऑक्सीजन है. जबकि, पानी में पांच मिली ग्राम से कम ऑक्सीजन होने पर जलीय जीव भी इसमें नहीं रह सकते हैं.

Also Read: झारखंड : भगवान बिरसा मुंडा जेल म्यूजियम पहुंचे दीपक प्रकाश, बोले- राज्यवासियों के लिए है तीर्थस्थल

मात्र 10 फीसदी है घना जंगल

झारखंड में जंगलों के बढ़ने की रिपोर्ट आती है. फॉरेस्ट सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मात्र 10 फीसदी क्षेत्र में ही घने जंगल हैं. रिपोर्ट में झारखंड में जंगल बढ़ने की बात तो है, लेकिन यह वन क्षेत्र से बाहर है. राज्य में कुल 22390.00 वर्ग किलोमीटर वन भूमि है. इसमें जंगल (फॉरेस्ट कवर) 23721.14 वर्ग किलोमीटर में है. रिकार्डेड फॉरेस्ट एरिया अति घनत्व वाला वन (वीडीएफ) मात्र 1414 वर्ग किलोमीटर (11.51 फीसदी) ही है. मध्यम स्तर का वन (एमडीएफ) करीब 42.23 फीसदी है.

सूखाग्रस्त इलाका है पलामू प्रमंडल

पलामू प्रमंडल में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है. गर्मी के दिनों में यहां का अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेसि से अधिक रहता है. यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट फंड (यूएनडीपी) ने झारखंड के क्लाइमेट चेंज पर अध्ययन कराया था. इसमें बताया गया था झारखंड में 2050 तक गर्मी के दिनों में औसत अधिकतम तापमान 41.87 से 43 डिग्री सेसि के आसपास रहेगा. 2080 आते-आते यह 42.09 से 45 सेसि के आसपास हो जायेगा.

54,86 लाख हेक्टेयर भूमि बंजर होने की ओर

भूमि संरक्षण पर जोर नहीं दिये जाने के कारण राज्य में करीब 54.86 लाख हेक्टेयर बंजर होने की ओर है. इसरो ने पूरे देश की कृषि योग्य भूमि पर एक रिपोर्ट जारी की थी. इसमें झारखंड की स्थिति को अच्छा नहीं बताया गया था. इसमें कहा गया था कि सही जल प्रबंधन नहीं करने के कारण झारखंड में भूमि की गुणवत्ता खराब हो रही है. इसका मूल कारण झारखंड में घने जंगलों का कम होना भी है.

Also Read: झारखंड : हजारीबाग के करीब 1800 सरकारी स्कूलों में 16 जून से शुरू हो रही बैक टू स्कूल कैंपेन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें