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रांची के बाजारों में फिर बिकने लगा ‘प्रदूषण’, घर-घर तक पहुंचा यह खतरा

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना और प्रकृति संरक्षण है. इस साल की थीम "Solutions to Plastic Pollution" है. लेकिन पूरे देशभर में ऐसी चीजों का इस्तेमाल बढ़ गया है और इस तरह से लोग जीवन जी रहे हैं, जिससे पर्यावरण खतरे में है.

रांची, आदित्य कुमार : जब आप बाजार से कोई सामान घर खरीदकर लाते है तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि आप अपने साथ एक जानलेवा और खतरनाक चीज लेकर आ रहे है. यह वस्तु आपके साथ-साथ आपके घर वालों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकती है. अब आप सोच रहे होंगे कि भला ऐसी कौन सी चीज है जो इतनी खतरनाक है, तो आपको बताना चाहेंगे कि जब आप बाजार से सामान खरीदते है तो उस सामान के साथ आपको मिलने वाली पॉलिथीन बैग ही इतनी खतरनाक है जिससे भारी तबाही मच सकती है.

आजकल, प्रतिबंधित पॉलिथीन का इस्तेमाल रांची के बाजारों में फिर से शुरू हो गया है. आप सब्जी खरीदने जाए या कपड़े किसी ना किसी रूप में आपको सामान के साथ पॉलिथीन के बैग दे ही दिए जा रहे है. इन पॉलिथीन बैग्स को सामान ढोने की वस्तु के रूप में इस्तेमाल कर अधिकतर लोग फेंक दे रहे है. लेकिन, इससे आम लोगों को नुकसान भी झेलना पड़ रहा है, वह भी प्रदूषण के रूप में. चूंकि, यह आसानी से अपघटित (decompose) नहीं होते है इसलिए या तो यह वायु प्रदूषण के रूप में लोगों के सांसों में जहर घोल रहे है या फिर मिट्टी का प्रदूषण (Soil Pollution) और जल प्रदूषण (Water Pollution) के रूप में.

रांची में प्रतिबंधित पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल फिर से

देशभर में बीते कुछ सालों से पॉलिथीन बैग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिसका असर रांची सहित झारखंड के सभी जिलों में देखने को मिला था. पत्ते, कपड़े और कागज से बने इसके विकल्प का इस्तेमाल करने लगे थे. लेकिन बीते एक साल में रांची में प्रतिबंधित पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल फिर से चलन में है. मांस-मछली की दुकान हो या सब्जी-फल की दुकान, घर में आने वाला दूध का पैकेट हो या आपको कोल्ड ड्रिंक्स की स्ट्रॉ पॉलिथीन ने फिर से जगह लेना शुरू कर दिया है. अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिरकार यह बैग बन कहां रहे है और इसका आयात रांची के दुकानों में कैसे हो रहा है. रांची में आखिर कौन मौत की फैक्ट्री चला रहा है या सामान भेज रहा है.

पर्यावरण को पहुंच रहा नुकसान

बता दें कि झारखंड राज्य जंगलों का इलाका है. यहां की प्रकृति ऐसी है जिसे देख लोग मोहित हो जाते है और यहां रहने की चाहत कई लोगों की जिद बन जाती है. पेड़-पौधे, नदियां, डैम, तालाब, झरने सहित कई ऐसी प्राकृतिक चीजें है जो झारखंड को उसके नाम से जोड़ती है. लेकिन, प्रकृति की गोद में समाए हुए इस राज्य में भी अब धीरे-धीरे पर्यावरण का दोहन हो रहा है. लोग अपनी सुविधा के लिए कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल कर रहे है जिससे पर्यावरण को बहुत ज्यादा ही नुकसान पहुंच रहा है. ऐसी ही एक वस्तु है जो आजकल घर-घर में मिल जाती है, पॉलिथीन.

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स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि राजधानी रांची सहित कई जिलों में मौसम परिवर्तन भी विपरीत होता नजर आ रहा है. मौसम में इस तरह की अप्रत्याशित फेर-बदल से लोग परेशान तो है लेकिन, इसके बड़े कारण पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल करने से परहेज बिल्कुल नहीं कर रहे है. रास्ते पर चलते समय सड़क पर या गलियों से गुजरते समय नालियों में पॉलिथीन के बैग और अन्य चीजें आपको मिल ही जाएंगे. इससे गंदगी, प्रदूषण प्रत्यक्ष और परूक्ष दोनों रूप से फैलाने का काम पॉलिथीन बैग से हो रहा है.

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