: 100 अंकों की परीक्षा में उत्तीर्ण होना जरूरी, लेकिन मुख्य परीक्षा में नहीं जुड़ेंगे अंक संजीव सिंह रांची . झारखंड के न्यायालय में सहायक लोक अभियोजन (एपीपी) बनने के लिए अब अभ्यर्थी को नौ जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा में से किसी एक भाषा को जानना जरूरी है. नियुक्ति के लिए मुख्य परीक्षा में झारखंड सरकार द्वारा निर्धारित नौ क्षेत्रीय भाषाओं में से किसी एक भाषा की 100 अंकों की परीक्षा होगी. हालांकि इस पत्र का अंक मुख्य परीक्षा में नहीं जुड़ेगा, लेकिन अभ्यर्थी को उत्तीर्ण होना जरूरी होगा. जिन किन्हीं एक विषय की परीक्षा देनी होगी, उनमें संताली भाषा और साहित्य, मुंडारी भाषा और साहित्य, खड़िया भाषा और साहित्य, हो भाषा और साहित्य, कुड़ुख भाषा और साहित्य, नागपुरी भाषा और साहित्य, कुरमाली भाषा और साहित्य, खोरठा भाषा और साहित्य तथा पंचपरगनिया भाषा और साहित्य को शामिल किया गया है. उक्त विषय में उत्तीर्ण होने के लिए कोटिवार न्यूनतम अंक भी तय किये गये हैं. इसके तहत सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग एनेक्चर एक के लिए 34 प्रतिशत, अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, आदिम जनजाति के लिए 30 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (इडब्ल्यूएस) के लिए 40 प्रतिशत निर्धारित किये गये हैं. एपीपी नियुक्ति मुख्य परीक्षा में सामान्य हिंदी, अंग्रेजी, निबंध, सामान्य अध्ययन एवं विधि से संबंधित विषय होंगे. सभी पेपर (पत्र) का उत्तर लिखने के लिए तीन-तीन घंटा का समय निर्धारित किया गया है. प्रथम पत्र में सामान्य हिंदी, द्वितीय पत्र अंग्रेजी, तृतीय पत्र निबंध, चतुर्थ पत्र सामान्य अध्ययन का होगा, जो 100-100 अंक का होगा. जबकि विधि विषय के तहत पांचवां पत्र साक्ष्य एवं आपराधिक प्रक्रिया, छठा पत्र भारतीय दंड संहिता, सातवां पत्र भारतीय संवैधानिक विधि तथा आठवां पत्र आपराधिक माइनर एक्ट विषय का होगा. सामान्य हिंदी तथा अंग्रेजी विषयों में प्राप्त अंकों को मेधा सूची तैयार करने में नहीं जोड़ा जायेगा. लेकिन जो अभ्यर्थी सामान्य हिंदी और अंग्रेजी पत्र में 30 प्रतिशत अंक प्राप्त नहीं करेंगे, वे लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं समझे जायेंगे. मालूम हो कि नियुक्ति जेपीएससी के माध्यम से हो रही है. नियुक्ति पीटी, मुख्य परीक्षा व साक्षात्कार के माध्यम से होगी. रेगुलर के 134 पद व बैकलॉग के 26 पद हैं.
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