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झारखंड : रांची के योगदा सत्संग आश्रम में हजारों लोगों को योग-ध्यान के मूल सिद्धांतों से कराया परिचित

योगदा सत्संग आश्रम, रांची में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इस मौके पर हजारों लोगों को योग-ध्यान के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया गया. स्वामी ईश्वरानन्दजी गिरि ने कहा कि योग का वास्तविक अर्थ है आत्मा और परमात्मा का मिलन.

Jharkhand News: नौवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया (वाईएसएस) के रांची आश्रम ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया. इस मौके पर हजारों की संख्या में लोग योग-ध्यान के मूल सिद्धांतों से परिचित हुए. स्वामी ईश्वरानंद गिरि ने योग-ध्यान के माध्यम से ‘आंतरिक प्रशांति को खोज करना’ विषय पर बोलते हुए कहा कि सत्यान्वेषियों को आंतरिक प्रशांति को खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो हम सब के अंदर विद्यमान है.

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पुस्तक योगी कथामृत की चर्चा

इस आश्रम में रविवार की सुबह अनेक सत्यान्वेषियों को आकर्षित करते हुए वाईएसएस के संस्थापक श्री श्री परमहंस योगानन्द की पुस्तक योगी कथामृत के परिचय के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस मौके पर स्वामी ईश्वरानन्दजी ने कहा कि योगानंदजी के जीवन वृत्तांत ने पूरे विश्व में लाखों लोगों के हृदय और मन को स्पर्श किया है तथा असंख्य पाठकों को भारत के प्राचीन योग विज्ञान और ईश्वरीय साक्षात्कार प्राप्त करने की वैज्ञानिक प्रणालियों से परिचित कराया है, जो वैश्विक सभ्यता के प्रति भारत का अद्वितीय एवं स्थायी योगदान है.

योगानन्दजी ने संसार को एक व्यावहारिक पद्धति प्रदान की

वहीं, आदर्श जीवन क्रियायोग शिक्षा के विश्वव्यापी प्रसार में योगानन्दजी के योगदान के विषय में बात करते हुए स्वामीजी ने कहा कि श्री श्री परमहंस योगानन्दजी मानवीय परिस्थितियों और मानवजाति के सामने आने वाली चुनौतियों की गहरी समझ रखते थे और उनके हृदय में पीड़ित मानवजाति के प्रति गहरी सहानुभूति थी. आगे कहा कि उन्होंने संसार को एक व्यावहारिक पद्धति प्रदान की, जिसके अभ्यास से जीवन के सभी क्षेत्रों के आध्यात्मिक आकांक्षी शांति का अनुभव कर सकते हैं और आत्म साक्षात्कार के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं.

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वाईएसएस वेबसाइट के माध्यम से जानकारी प्राप्त करें

स्वामी ईश्वरानन्दजी ने सत्य की खोज करने वालों को आमंत्रित करते हुए कहा कि वाईएसएस मार्ग द्वारा गृह अध्ययन पाठमाला के माध्यम से प्रदान की जाने वाली इन क्रियायोग शिक्षाओं के विषय में वाईएसएस वेबसाइट के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, नवागंतुकों को योग के माध्यम से अनुभव की जा सकने वाली शांति से परिचित कराने के लिए स्वामीजी ने हिंदी में एक निर्देशित ध्यान सत्र का संचालन किया. जिसमें सही मुद्रा का अभ्यास, प्रारंभिक श्वसन व्यायाम, एक प्रतिज्ञापन और एक मानसदर्शन सम्मिलित था. इस कार्यक्रम के यूट्यूब से सीधे प्रसारण के माध्यम से भी इस आध्यात्मिक संस्था के देशव्यापी आश्रमों, केंद्रों और मंडलियों से करीब 2,500 लोगों ने भाग लिया.

योग का वास्तविक अर्थ है आत्मा और परमात्मा का मिलन

योग के सही अर्थ को स्पष्ट करते हुए स्वामीजी ने कहा कि अधिकांश लोग सोचते हैं कि योग हठयोग तक ही सीमित है. लेकिन, योग का वास्तविक अर्थ है आत्मा और परमात्मा का मिलन. योगानन्दजी द्वारा सिखाये गये ध्यान के क्रियायोग मार्ग द्वारा मानव चेतना आंतरिक एकत्व की इस अवस्था को प्राप्त करती है तथा इस मार्ग की नींव है वैज्ञानिक ध्यान का नियमित अभ्यास. अधिक जानकारी के लिए आप वाईएसएस के वेबसाइट yssofindia.org पर जाकर विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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