:::: धरती आबा ट्राइबल फिल्म फेस्टिवल का समापन
:::: जनजातीय जीवन, पहचान, सामाजिक परिवर्तन पर आधारित 52 फिल्मों की हुई स्क्रीनिंगलाइफ रिपोर्टर @ रांची
मोरहाबादी स्थित डॉ राम दयाल मुंडा ट्राइबल वेलफेयर रिसर्च इंस्टीट्यूट में चल रहे तीन दिवसीय धरती आबा ट्राइबल फिल्म फेस्टिवल का समापन गुरुवार को हुआ. देश भर से आये फिल्मकारों की जनजातीय जीवन, पहचान, सामाजिक परिवर्तन पर आधारित 52 फिल्मों की स्क्रीनिंग हुई. समापन समारोह में कल्याण मंत्री चमरा लिंडा, पूर्व आइएएस अधिकारी रणेंद्र कुमार, मोनिका रानी टूटी, फिल्मकार मेघनाथ आदि शामिल हुए. कल्याण मंत्री ने कहा कि सिनेमा ही वह माध्यम है, जिसके जरिए दुनिया आदिवासी संस्कृति को जान सकती है. विभिन्न केटेगरी के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. अंतिम दिन कई फिल्में दिखाई गयी. निर्देशक उमुल जुनो सोरेन ने अपनी फिल्म साकम ओरेक पर चर्चा की. अभिनेता और जूरी सदस्य महादेव टोप्पो मौजूद थे. इसमें जादूगोड़ा फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया. इसको देखकर लोग भावुक हुए. इस बात पर जोर दिया गया कि आदिवासी सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति, भाषा, लोक कथाओं और परंपराओं के संरक्षण का सशक्त माध्यम है.इन फिल्मों को मिला पुरस्कार
फीचर फिल्म केटेगरी में प्रथम पुरस्कार एक लाख रुपये येक्सिक्स डाॅटर को, द्वितीय पुरस्कार 60 हजार रुपये सेलेस्टिना एंड लारेंस को, तृतीय पुरस्कार 40 हजार रुपये डिवोर्स (सकम ओरेक) को मिला. शॉर्ट फिल्म केटेगरी में प्रथम पुरस्कार क्राॅस रोड, द्वितीय पुरस्कार पुइसा डेयर, तृतीय पुरस्कार पपाया को मिला. लांग डाक्यूमेंट्री में प्रथम पुरस्कार बांडेड और द्वितीय पुरस्कार द बर्ड, द प्रीस्ट को मिला. शार्ट डाक्यूमेंट्री में प्रथम रुखू माटिर दुकू मझी, द्वितीय जमीन मा का फूल, तृतीय स्थान मैन, मेलोडी एंड डाल्स को मिला.
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