रांची.
रांची विवि जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा विभाग के शिक्षकों व शोधार्थियों ने कहा है कि राज्यपाल को आदिवासी समन्वय समिति द्वारा पीएचडी में गड़बड़ी से संबंधित की गयी शिकायत बिल्कुल बेबुनियाद है. राज्यपाल को गुमराह किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बुधवार को आदिवासी समन्वय समिति के समन्वयक देव कुमार धान व प्रतिनिधिमंडल ने विभाग में पीएचडी कार्य में गड़बड़ी की लिखित शिकायत कर जांच कराने की मांग की थी. इसको लेकर गुरुवार को नागपुरी भाषा विभाग के अध्यक्ष डॉ उमेश नंद तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई. बैठक में सभी शोधार्थी व शिक्षक शामिल हुए.शोध कार्य यूजीसी के नियम-परिनियम के दायरे में हो रहे हैं
बैठक में सभी ने कहा कि विभाग में अब तक जितने भी शोध कार्य हो रहे हैं, सभी यूजीसी के नियम-परिनियम के दायरे में रह कर हो रहे हैं. पूर्व कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा व डीन डॉ अर्चना कुमारी दुबे पर लगाये गये सभी आरोप बेबुनियाद हैं. शोध से संबंधित नियम-परिनियम वेबसाइट पर उपलब्ध हैं. विभाग से बाहर के ये लोग जो शोध से संबंधित नियम-परिनियम को जानते तक नहीं हैं, वे आज शिक्षकों पर आरोप लगा कर झारखंडी भाषा विभाग की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं. बैठक में डॉ कुमारी शशि, प्रेम मुर्मू, मनय मुंडा, डॉ तारकेश्वर सिंह मुंडा, बंधु भगत, डॉ बंदे खलखो, डॉ किशोर सुरीन, डॉ वीरेंद्र सोय, करम सिंह मुंडा, राजकुमार बास्के, शकुंतला बेसरा आदि थे.
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