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Ranchi News : व्रतियों ने उगते सूर्य को अर्घ देकर मांगी मंगलकामना

चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को संपन्न हो गया. व्रतियों ने अहले सुबह स्नान-ध्यान कर लोकगीतों की मधुर ध्वनियों के बीच छठ घाटों की ओर प्रस्थान किया.

(आस्था का सवेरा)

लोक गीतों की गूंज के बीच घाटों पर उमड़ी भीड़

कृत्रिम तालाबों और घरों की छतों पर भी अर्पित किये गये अर्घ

जिला प्रशासन ने की सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था

चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन

रांची. चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार को संपन्न हो गया. व्रतियों ने अहले सुबह स्नान-ध्यान कर लोकगीतों की मधुर ध्वनियों के बीच छठ घाटों की ओर प्रस्थान किया. वहां उन्होंने स्नान कर भगवान सूर्य के उदय की प्रतीक्षा की. जल में काफी देर खड़े रहने के बाद लगभग सुबह छह बजे भगवान सूर्य की लालीमा दिखाई दी. इसके बाद व्रतियों ने नमन कर अर्घ अर्पित करना शुरू किया. श्रद्धालुओं ने अर्घ अर्पित कर भगवान सूर्य से सबकी मंगलकामना की प्रार्थना की. इसके बाद बजरी आदि लुटाई गयी और हवन कर भगवान से पर्व के दौरान हुई भूल-चूक के लिए क्षमा मांगी गयी. व्रतियों ने टीका लगाकर प्रसाद का वितरण किया. घर लौटकर पूजा-अर्चना करने के बाद कई व्रतियों ने विभिन्न मंदिरों में प्रसाद अर्पित किया. इसके बाद स्वयं पारण कर घर आये परिजनों और आसपास के लोगों के बीच प्रसाद वितरित किया. इससे पहले सोमवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को अर्घ अर्पित किया था. बड़ी संख्या में व्रती राजधानी के विभिन्न नदी-तालाबों और डैमों पर पहुंचे थे. वहीं, कई लोगों ने अपने घरों और आस-पास में बनाये गये कृत्रिम तालाबों में अर्घ दिया. विभिन्न छठ घाटों पर छठ पूजा समितियों की ओर से भक्तों की सुविधा के लिए शिविर लगाये गये थे. कई घाटों पर भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजा-अर्चना की गयी. पुरोहितों द्वारा मंत्रोच्चार के बीच व्रतियों को अर्घ दिलवाया गया.

पूजा संपन्न होने के बाद व्रतियों ने सूर्य देव की प्रतिमाओं को प्रणाम कर प्रसाद अर्पित किया. छठ पूजा समितियों की ओर से भक्तों के लिए पूजन सामग्री से लेकर चाय-नाश्ता आदि की व्यवस्था की गयी थी, जिसका लोगों ने लाभ उठाया. छठ घाटों पर सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त पुलिस बल और स्वयंसेवक तैनात थे. वे जल की गहराई वाले क्षेत्रों में व्रतियों और उनके परिजनों से जाने से परहेज करने की अपील कर रहे थे. भीड़ और पानी के स्तर को देखते हुए कई लोगों ने अपने घरों की छतों या आसपास बने कृत्रिम घाटों पर अर्घ अर्पित किया. नगर निगम की ओर से राजधानी के विभिन्न इलाकों में कृत्रिम तालाबों का निर्माण कराया गया था, जबकि कई लोगों ने स्वयं भी ऐसे तालाब बनाकर वहीं पूजा की.

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