Supreme Court: रांची, राणा प्रताप-सुप्रीम कोर्ट ने स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2016 के सर्टिफिकेट वेरीफिकेशन से वंचित रह गए अभ्यर्थियों की ओर से दायर स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखा गया. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को नोटिस जारी किया. उन्हें शपथ पत्र (हलफनामा) दायर करने का निर्देश दिया गया है. मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरथना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ में हुई.
जेएसएससी ने किया आर्टिकल-14 का उल्लंघन-अधिवक्ता
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता देवदत्त कामथ और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखते हुए पीठ को बताया कि स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक परीक्षा के हजारों सफल अभ्यर्थियों को डाक, एसएमएस और ईमेल के माध्यम से डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन (प्रमाण पत्र सत्यापन) के संबंध में जेएसएससी की ओर से सूचना दी गयी थी. इसका लाभ प्रार्थियों को भी मिलना चाहिए था, लेकिन उनके मामले में सिर्फ वेबसाइट पर सूचना प्रकाशित की गयी. यदि किसी अभ्यर्थी को विशेष तरह से आमंत्रित किया गया और उसे प्रमाण पत्र सत्यापन की जानकारी दी गयी, तो यह अन्य सभी अभ्यर्थियों (प्रार्थियों) के साथ भी होना चाहिए था. जेएसएससी ने ऐसा नहीं कर संविधान के आर्टिकल-14 का उल्लंघन किया है. प्रार्थियों को भी उसका लाभ मिलना चाहिए था.
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
प्रार्थी निर्मल पाहन और अन्य की ओर से अलग-अलग एसएलपी दायर की गयी है. उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. हाईकोर्ट की एकल पीठ और बाद में खंडपीठ ने प्रार्थियों की याचिका और अपील याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
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