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बालू की किल्लत, बढ़ी परेशानी, 10 जून से सभी घाटों से बालू की निकासी पर लगनी है रोक

29 अप्रैल को राज्यभर में अवैध बालू व खनिजों के खिलाफ चलाये गये अभियान के बाद राजधानी रांची सहित कई जिलों में बालू संकट हो गया है. राज्य सरकार के फैसले के अनुसार कैटेगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को ही करना है. यह फैसला वर्ष 2017-18 में ही किया गया.

रांची. 29 अप्रैल को राज्यभर में अवैध बालू व खनिजों के खिलाफ चलाये गये अभियान के बाद राजधानी रांची सहित कई जिलों में बालू संकट हो गया है. राज्य सरकार के फैसले के अनुसार कैटगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को ही करना है. यह फैसला वर्ष 2017-18 में ही किया गया. इसके बाद से ही टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. पर कभी टेंडर पूरा नहीं हो सका है. राज्य में 608 बालू घाट चिह्नित हैं. अब तक 12 जिलों का ही डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट बन सका है. स्टेट इनवायरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (सिया) द्वारा 12 जिलों के डीएसआर को मंजूरी दी गयी है. इनमें गोड्डा, लातेहार, पाकुड़, गुमला, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, धनबाद, सरायकेला-खरसावां, लोहरदगा, रामगढ़, गिरिडीह व सिमडेगा के बालू घाटों के डीएसआर की मंजूरी मिल गयी है.

बालू घाटों के MDO के चयन के लिए वित्तीय निविदा जारी

इन जिलों द्वारा बालू घाटों के माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) के चयन के लिए वित्तीय निविदा जारी कर दी गयी है. विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कोशिश है कि 20 से 25 मई तक प्रक्रिया पूरी कर बालू का स्टॉक कर लिया जाये. वजह है कि 10 जून से एनजीटी की रोक की वजह से बालू घाटों बालू की निकासी नहीं हो सकती. हालांकि अभी निविदा प्रक्रिया में भी पेच है. एमडीओ फाइनल होने के बाद माइंस प्लान देना है. इसके बाद इनवायरमेंट क्लीयरेंस (इसी) लेना है. तब कंसेंट टू ऑपरेट (सीटीओ) भी लेना है. तब बालू की निकासी हो सकती है. जानकार बताते हैं कि यह सब 10 जून तक शायद ही हो सके.

रांची में 29 बालू घाट पर डीएसआर की प्रक्रिया अब तक नहीं हुई पूरी

रांची में 29 बालू घाट हैं. पर अब तक डीएसआर की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है. जिसके कारण निविदा नहीं की जा सकी है. विभागीय सूत्रों ने बताया कि रांची में स्टॉकिस्ट को खूंटी व गुमला से बालू लाकर स्टॉक करने के लिए कहा जा रहा है. ताकि 10 जून के बाद बालू की किल्लत न हो सके.

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राजधानी में निर्माण कार्यों पर पड़ने लगा है असर

बालू नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है कि 10 हजार रुपये अधिक कीमत देने पर भी बालू नहीं मिल रहा है. हालांकि खूंटी व अन्य वैध घाटों से बालू वैध चालान के साथ दिया जा रहा है, तो इसकी कीमत अधिक है. बालू कारोबारियों ने बताया कि 29 अप्रैल के पहले तक 18 हजार रुपये प्रति हाइवा बालू की कीमत थी. जो अब 28 से 30 हजार रुपये प्रति हाइवा हो गयी है. वह भी मिल नहीं रहा है. वहीं 709 ट्रक बालू की कीमत 3500 रुपये थी जो बढ़ कर छह हजार रुपये हो गयी है. राजधानी के एक रियल स्टेट के कारोबारी ने बताया कि अपार्टमेंट बनाने के लिए बालू की किल्लत हो रही है. एक तरफ तो नक्शा पर रोक लगी हुई है. दूसरी तरफ पूर्व में स्वीकृत प्रोजेक्ट के निर्माण में विलंब हो रहा है. बालू की किल्लत की वजह से फिलहाल निर्माण कार्य रोक दिया गया है. पर बैंकों का ब्याज बढ़ रहा है. समय पर फ्लैट उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है. कारोबारी ने बताया कि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकाला गया, तो भवन, सड़क जैसे निर्माण कार्य ठप होने की आशंका है.

ये बालू घाट हैं चालू

राज्य में वैध रूप से 22 बालू घाट ही चालू हैं. जिसमें खूंटी जिला में कुदरी ओकरा सिमला और डोरमा, गढवा मेें खरोस्टा और पाचाडुमर, गुमला में बीरी, लरांगो, केराडीह, हजारीबाग में नावाटानर, कोडरमा में कांटी, लाठबेड़वा, चतरा में गढ़केदाली, लोहरसिगना खुर्द व घोरीघाट, देवघर में बसातपुर, मालीझार, तेतरियाटानर, पंडनिया, जुगटोपा व रानीगंज, दुमका में फुलसहारी व कुसुमघाटा तथा सरायकेला में जोरागाडीह (सोरो) शामिल है.

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