रांची : सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले दागे जाने के एक दिन बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने कहा कि उनका वेतन और अनुबंध बढ़ाने के लिए सरकार तैयार है. सहायक पुलिसकर्मी अपना आंदोलन समाप्त करें. लेकिन, सहायक पुलिसकर्मी अब अपनी सेवा को स्थायी करने की मांग पर अड़ गये हैं.
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों से राजधानी रांची में 8 दिन से डेरा डाले सहायक पुलिसकर्मियों से मिलने के लिए हेमंत सोरेन के दूत के रूप में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर पहुंचे. उन्होंने आंदोलनकारियों के साथ बातचीत की. उनकी समस्या के बारे में जाना और उनकी मांगें भी सुनीं.
अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों से शनिवार की शाम मंत्री मिथिलेश ठाकुर मिले, तो उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों के मानदेय में वृद्धि करने, तीन साल के लिए अनुबंध विस्तार करने और पुलिस नियुक्ति में उन्हें प्राथमिकता देने के लिए सरकार तैयार है.
इसलिए अब वे लोग अपना आंदोलन समाप्त कर दें. अपने-अपने घरों को लौट जायें. हालांकि, सहायक पुलिसकर्मियों ने मंत्री मिथिलेश ठाकुर को दो टूक कह दिया कि स्थायीकरण से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है. काफी समझाने पर भी आंदोलनकारी नहीं माने. वे अपनी मांगों पर डटे और मंत्री को बैरंग लौटना पड़ा.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में नक्सल प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षा देने के लिए 2,350 सहायक पुलिसकर्मी नियुक्त किये गये थे. उस वक्त 10 हजार रुपये इनका वेतन तय किया गया था. इन्हें आश्वासन दिया गया था कि जब भी पुलिस में बहाली होगी, इन्हें प्राथमिका दी जायेगी. 31 अगस्त को इनका अनुबंध समाप्त हो गया.
Also Read: अपनी बच्चियों को संभालें! पलामू के होटल में देह व्यापार से जुड़े रैकेट का खुलासा, मैनेजर समेत 7 गिरफ्तारअनुबंध समाप्त होने के बाद जब सरकार ने इनकी सेवा को लेकर कोई पहल नहीं की, तो इन लोगों ने राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आवास और राज भवन घेराव करने का निर्णय लिया. इसी उद्देश्य से ये लोग 12 सितंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान पहुंचे. 18 सितंबर को जब इन लोगों ने जबरन राज भवन मार्च करने की कोशिश की, तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया और आंसू गैस के गोले दागे. इसमें दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गये.
Posted By : Mithilesh Jha

