रांची. भारतीय मजदूर संघ के कोयला प्रभारी के लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि यह सही है कि मजदूरों की समस्या सभी मजदूर यूनियनों के लिए एक है. हम मजदूर यूनियनों के साथ मिलकर एक साथ संघर्ष के लिए तैयार भी हैं. 12 साल पहले एक मंच पर आये भी थे. संघर्ष भी किये, लेकिन इंटक हमेशा अपनी पार्टी से पूछकर निर्णय हम लोगों पर थोपता था. इसका हमलोगों ने विरोध किया. इस कारण अलग होना पड़ा. हम अब भी मजदूरों के मुद्दों पर एक साथ संघर्ष करने को तैयार हैं, लेकिन इंटक को राजनीति छोड़नी होगी. हम गैर राजनीतिक संगठन हैं. श्री रेड्डी शुक्रवार को राजधानी में प्रेस को संबोधित कर रहे थे.
मजदूरों का हो रहा शोषण
श्री रेड्डी ने कहा कि कोल इंडिया में ठेका मजदूरों का शोषण हो रहा है. उन्हें सही मजदूरी नहीं मिल रही है. 12-15 घंटे काम लिया जा रहा है. न आवास की सुविधा मिल रही है, न ही चिकित्सा. स्थायी मजदूरों की स्थिति भी ठीक नहीं है. एक समय कोल इंडिया में 6.25 लाख स्थायी मजदूर थे. आज 2.22 लाख के करीब रह गये हैं. उत्पादन में स्थायी मजदूरों की भागीदारी सिर्फ 20 फीसदी के आसपास रह गयी है. इसको कम से कम 50 फीसदी करना चाहिए. ऐसा नहीं होने से धीरे-धीरे पूरा कोयला उद्योग ठेका, आउटसोर्स और एमडीओ मोड में चला जायेगा. ठेका, आउटसोर्स और एमडीओ मोड में उत्पादन का दबाव है. इस कारण सुरक्षा मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है.मजदूरों के 900 करोड़ रुपये डूब गये
श्री रेड्डी ने कहा कि सीएमपीएफ से मजदूरों को परेशानी हो रही है. रिटायर होने पर उनको पूरी सुविधा नहीं मिल रही है. मजदूरों को उनका पैसा ही नहीं मिल पा रहा है. सीएमपीएफ को ऑनलाइन करना चाहिए. सीएमपीएफ की गलती के कारण मजदूरों के करीब 900 करोड़ रुपये डूब गये. सीएमपीएफ ने गलत जगह निवेश कर दिया था. मौके पर अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष संजय चौधरी और मीडिया प्रभारी अनूप सिंह भी मौजूद थे.
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