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राजधानी रांची की सफाई व्यवस्था बदहाल, 59 करोड़ टैक्स वसूलने के बाद भी नगर निगम नहीं कर पा रहा इंतजाम

राजधानी रांची सफाई व्यवस्था बदहाल है, जब भी इस पर सवाल उठता है तो निगम वाले एजेंसी को जिम्मेवार ठहरा देते हैं. जबकि इसके एवज में निगम हर साल 59 करोड़ टैक्स वसूलता है

रांची : रांची नगर निगम ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में राजधानीवासियों से विभिन्न मदों में 59 करोड़ रुपये टैक्स वसूल किया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में आठ करोड़ ज्यादा है. फिर भी राजधानी की सफाई व्यवस्था बदहाल है.

हालांकि जब भी सफाई व्यवस्था का प्रश्न उठता है, तो नगर निगम के अधिकारी सफाई करनेवाली एजेंसी को जिम्मेवार ठहरा देते हैं. चाहे पूर्व की कंपनी एस्सेल इंफ्रा हो या मौजूदा कंपनी सीडीसी. अब नगर निगम के अधिकारी कह रहे हैं कि सीडीसी कंपनी को एक महीने में शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की मोहलत दी गयी है. इस दौरान हालात नहीं सुधरे, तो मई में कंपनी को हटा दिया जायेगा.

दो साल पहले जब सीडीसी कंपनी ने शहर में सफाई का काम संभाला था, तब दावा किया था कि यहां ‘मॉडल सफाई व्यवस्था’ कायम की जायेगी. हालांकि, यह दावा अब हवा हो चुका है. शहर की हालत नारकीय है. राजधानी में जगह-जगह कचरे का अंबार दिखता है. नाले-नालियां बजबजाते रहते हैं.

नगर निगम के साथ हुए करार के मुताबिक, कंपनी को रोजाना डोर-टू-डोर कचरे का उठाव करवाना था. जबकि, हालत यह है कि कंपनी के सफाईकर्मी आठ से 10 दिन के अंतराल पर कचरा उठाने पहुंच रहे हैं. कुछ लोग तो खुले में कचरा फेंक कर हाथ झाड़ लेते हैं. वहीं, जो लोग ऐसा करना उचित नहीं समझते, वे कचरे की बाल्टी घर में रखने को विवश हैं. कचरे से भरी बाल्टी से उठनेवाली बदबू उन्हें तब तक बर्दाश्त करनी पड़ती है, जब तक कचरा लेनेवाली गाड़ी उनके घर तक नहीं आती है.

अब तक मात्र एक लाख घरों में लगा आरएफआइडी चिप

डोर-टू-डोर कचरे के उठाव की मॉनिटरिंग के लिए कंपनी को शहर के 2.25 लाख घरों में आरएफआइडी चिप लगाना था. लेकिन, दो साल गुजरने के बाद भी कंपनी अब तक मात्र 1.10 लाख घरों में ही आरएफआइडी चिप लगा पायी है. नतीजतन निगम को पता ही नहीं चल पा रहा है कि रोजाना कितने घरों से कचरा उठाया जा रहा है.

हर महीने तीन से चार दिन हड़ताल पर रहते हैं सफाईकर्मी

सीडीसी कंपनी को राजधानी की सफाई व्यवस्था संभालते हुए दो साल से ऊपर हो चुके हैं. लेकिन, अब तक कंपनी अपनी आधारभूत संरचना विकसित नहीं कर पायी है. इसी का नतीजा है कि आज भी कंपनी के कर्मी वेतन, पीएफ, इएसआइ आदि सुविधाओं की मांग को लेकर लगभग हर महीने तीन से चार दिन तक हड़ताल पर ही रहते हैं. इससे शहर की सफाई व्यवस्था प्रभावित होती है.

दो साल गुजरने के बाद भी कंपनी के काम में सुधार नहीं दिख रहा है. इसे देखते हुए कंपनी को फाइनल अल्टीमेटम दिया गया है. एक माह के अंदर व्यवस्था नहीं सुधरी, तो मई में कंपनी को रांची से चलता कर दिया जायेगा.

रजनीश कुमार, उपनगर आयुक्त

Posted By: Sameer Oraon

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