रिनपास की ऐतिहासिक शतक
टेलीमेडिसिन सेवा की होगी शुरुआत, डाक टिकट भी जारी होगीहर साल 80 हजार से अधिक मानसिक रोगियों का इलाज करता है रिनपासपिछले वित्तीय वर्ष में 83600 मरीज आए, शैक्षणिक और पुनर्वास सुविधाओं के साथ जल्द शुरू होगी डिजिटल थेरेपी
पांच सितंबर को सोशल वर्कर्स का राष्ट्रीय सम्मेलन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से आयेंगे विशेषज्ञलाइफ रिपोर्टर @ रांची
राज्य की प्रतिष्ठित मानसिक स्वास्थ्य संस्था रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकियाट्री एंड एलाइड साइंसेज (रिनपास) का तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह गुरुवार से प्रारंभ होगा. इस अवसर पर देश-विदेश से 450 से अधिक मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक हिस्सा लेंगे. समारोह का उदघाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे. कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी भी उपस्थित रहेंगे. गुरुवार दोपहर से शनिवार शाम तक विभिन्न तकनीकी सत्र आयोजित होंगे, जिनमें मानसिक स्वास्थ्य, मनोचिकित्सा और मनोविज्ञान से जुड़े विविध विषयों पर चर्चा होगी. इस दौरान निमहांस बेंगलुरु की निदेशक डॉ प्रतिमा मूर्ति सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ विचार-विमर्श करेंगे. उदघाटन सत्र में टेली मेडिसिन सेवा की शुरुआत की जायेगी. रिनपास से संबंधित एक डाक टिकट भी जारी होगा. तैयारी की समीक्षा बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने की. उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये. इस दौरान रिनपास के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह और पूर्व निदेशक डॉ जयति सिमलाई भी मौजूद रहीं.पांच सितंबर को होगा सोशल वर्कर्स का राष्ट्रीय सम्मेलन
पांच सितंबर को रिनपास परिसर में एसोसिएशन ऑफ साइकियाट्रिक सोशल वर्क प्रोफेशनल्स का दूसरा राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जायेगा. इसमें मुख्य अतिथि राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह होंगे. जबकि विशिष्ट अतिथि दक्षिणी छोटानागपुर आयुक्त अंजनी कुमार मिश्र मौजूद रहेंगे. सम्मेलन की आयोजन सचिव डॉ मनीषा किरण ने बताया कि मुख्य वक्ता डॉ प्रतिमा मूर्ति होंगी. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के डॉ मोहन आइजैक मनोरोगियों के उपचार और उनकी देखभाल से जुड़ी चुनौतियों पर विचार रखेंगे. वहीं, अमेरिका की ब्रेडले यूनिवर्सिटी की डॉ पैटरिका मानसिक स्वास्थ्य कार्यप्रणाली में सुधार और मानव समृद्धि विषय पर व्याख्यान देंगी.रिनपास में उपलब्ध प्रमुख सेवाएं
टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर : 9471136697, 14499, 18003454060.
मानसिक बीमारियों का इलाजआंख और दंत रोगों की जांच और इलाज
सामान्य बीमारियों का इलाज, फिजियोथेरेपीनशा और मादक पदार्थों के सेवन से संबंधित परामर्श और इलाज
तनाव, चिंता, संघर्ष और जीवन की अन्य समस्याओं का परामर्शमहिला रोगों का महिला विशेषज्ञों द्वारा इलाज
बाल एवं किशोर परामर्शमादक पदार्थों के सेवन से उत्पन्न मानसिक विकारों का इलाज
झारखंड राज्य में मानसिक रूप से बीमार महिलाओं का निःशुल्क इलाजमनोवैज्ञानिक परीक्षण और परामर्श
ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएंटेली-मेंटल हेल्थ सेवाएं
बाल एवं किशोर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएंमनोवैज्ञानिक मार्गदर्शन क्लिनिक
आत्महत्या रोकथाम सहायता प्रकोष्ठ (हेल्पलाइन : 9471136697)सखी केंद्र : घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न या मानसिक उत्पीड़न से पीड़ित महिलाओं के लिए 24×7 सेवा
बीपीएल मरीजों के लिए सभी जांच और इलाज निःशुल्कसभी मानसिक रोगियों (इनडोर और आउटडोर) को इलाज के दौरान निःशुल्क दवाएं
इनडोर मरीजों के लिए निःशुल्क (रहने, खाने, दवा) और भुगतान वार्ड दोनों की सुविधा————–
रिनपास में हर साल 70 हजार से अधिक मानसिक रोगियों का इलाज
फिजिकल से डिजिटल की ओर बढ़ रहा रिनपास
रांची.
रिनपास देश के प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों में से एक है. यह हर साल लगभग 70 हजार मानसिक रोगियों को उपचार की सुविधा प्रदान कर रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष (मार्च 2025 तक) में संस्थान के ओपीडी में 83600 मरीज आए, जिनमें 71229 मानसिक रोगी थे. इनमें 46479 पुरुष और 24750 महिलाएं शामिल थीं. इनमें से लगभग 60 हजार से अधिक मरीज फॉलोअप के लिए आए, जबकि पहली बार इलाज कराने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक रही. मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बढ़ती जागरूकता के कारण मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. तत्कालीन संस्थान के पदाधिकारियों ने इसके लिए कोल इंडिया की इकाई सीएमपीडीआइ की भी मदद ली थी. सीएमपीडीआइ के इंजीनियरों ने जाकर रिनपास में कई तरह के सुझाव दिये थे. इसका जिक्र संस्थान के पूर्व चिकित्सक डॉ बक्शी केआरपी सिन्हा ने एक लेख में किया है.चार प्रमुख एकेडमिक कार्यक्रम
संस्थान में चार तरह के एकेडेमिक कार्यक्रम चलते हैं. साइकेट्री, क्लिनिकल साइकोलॉजी, क्लिनिकल सोशल वर्क और साइकेट्रिक नर्सिंग के कोर्स का संचालन होता है. यहां अभी डीएनबी के तीन, पीएचडी का पांच और एमफिल के 12 सीटों की पढ़ाई हो रही है. इसके अतिरिक्त साइकेट्रिक सोशल वर्क के 12 सीटों पर भी पढ़ाई हो रही है.
10 नॉन-एकेडमिक विभाग और पुनर्वास केंद्र
संस्थान में 10 तरह के नन एकेडेमिक विभाग भी हैं. संस्थान में निबंधन कराने वाले मरीजों को यह सुविधा मिलती है. इसमें पैथोलॉजी, मेडिसिन, नेत्र रोग, डेंटल, रेडियोलॉजी, लाइब्रेरी, फिजियोथेरोपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी और पुनर्वास सेंटर, एग्रीकल्चर यूनिट के साथ-साथ ओपीडी की भी सुविधा है. इस सुविधा का लाभ मरीजों के साथ-साथ बाहर के लोगों को भी मिलता है. संस्थान का पुनर्वास केंद्र मरीजों के लिए है. यहां मरीजों को कारपेंटर, वेल्डर आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनको इलाज के लिए सामान्य जीवन जीने की कला सिखायी जाती है. इसके अतिरिक्त मरीज फाइल-फोल्डर, बेडसीट, चादर आदि का भी निर्माण करते हैं. इसका उपयोग संस्थान में होता है. ज्यादा होने पर इसे जेल भेजा जाता है. वहां इसका उपयोग होता है.
मेजर जनरल और कर्नल भी रह चुके हैं प्रमुख
रिनपास का इतिहास गौरवशाली रहा है. संस्थान के पहले अधीक्षक कर्नल जेई धंजीभाई थे. इसके बाद मेजर जनरल केआर बनर्जी और ब्रिगेडियर पीके चक्रवर्ती निदेशक रहे. पिछले 15 वर्षों से संस्थान स्थायी निदेशक के अभाव में प्रभारी निदेशक के भरोसे संचालित हो रहा है.
इलाज में नयी तकनीक के उपयोग की तैयारी : डॉ अमूल
संस्थान के निदेशक डॉ अमूल रंजन सिंह ने बताया कि मनोचिकित्सा में तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है. जल्द ही टेलीमेडिसिन और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इलाज की सुविधा शुरू होगी. डिजिटल एकेडमिक को बढ़ावा देने और प्रशिक्षण में तकनीक को शामिल करने की तैयारी भी की जा रही है. उन्होंने कहा कि मानसिक रोगों के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान और समय पर इलाज के लिए जन-जागरूकता पर जोर दिया जा रहा है. पहले मानसिक रोगों को लेकर भ्रांतियां थीं, लेकिन अब लोग इलाज के लिए आगे आ रहे हैं. यही कारण है कि आज रिनपास में हर साल 80 हजार से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं.
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