रांची. एचइसी आवासीय परिसर में गुरुवार को बिरसा चौक के पास चेकपोस्ट और हरमू बाइपास रोड से अतिक्रमण हटाया गया. करीब 30 अस्थायी निर्माण को हटाया गया. इस दौरान जिला प्रशासन को लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा. वहीं, विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया. इसमें आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गये. इस दौरान आक्रोशित लोगों ने पत्थरबाजी की. इसके बाद जिला प्रशासन ने लोगों को 10 दिनों के अंदर अवैध निर्माण हटाने की बात कहते हुए अभियान रोक दिया.
11 बजे शुरू हुआ अभियान
इससे पहले सुबह 11.00 बजे एचइसी के अधिकारियों के साथ टीम चेकपोस्ट के पास पहुंची. यहां अस्थायी दुकानों को तोड़ा गया. यहां करीब 15 दुकानों (वर्षों से लगाये जा रहे थे) को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया. इसके बाद बाइपास रोड में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया. यहां भी लगभग 15 अस्थायी निर्माण को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया. इसके बाद लोगों ने विरोध करना शुरू कर दिया. लोग सड़क पर बैठ गये. लोगों का कहना था कि वह यहां 25 से 30 वर्षों से रहे हैं. उनके पास बिजली व पानी का कनेक्शन है. अगर लोग अवैध रूप से रह रहे हैं, तो सरकार द्वारा उन्हें कनेक्शन देकर क्यों बसाया गया. कई महिला, पुरुष और बच्चे बुलडोजर के समक्ष आ गये. इसके बाद पुलिस के जवानों ने लाठी चार्ज कर सभी को हटाया. वहीं, बस्ती बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध किया. मौके पर मजिस्ट्रेट सुमन कुमार सौरभ व एचइसी नगर प्रशासन विभाग के अधिकारी मौजूद थे.
ये हुए घायल
घायलों में तुती देवी, विकास, लक्ष्मी, कृष्णा, छोटे, हीरामनी, निमाई राम व लिली के अलावा कई बच्चे भी शामिल हैं.महिलाओं ने कहा
पिछले 30 वर्षों से झोपड़ी बना कर यहां रह रहे हैं. पानी व बिजली का कनेक्शन है. घर-घर काम करके जीवन यापन कर रहे हैं. कहां जायें और क्या करें. आठ लोगों का परिवार है. चुनाव के समय नेता केवल वोट मांगने आते हैं, लेकिन आज मुसीबत के समय कोई नहीं आया.
शैपूल देवी
इस घर से कई यादें जुड़ी हुई हैं. यहीं पर बचपन बीता. अब कुछ दिनों के नोटिस के बाद अचानक बुलडोजर लेकर आ गये. ठेला लगा कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं. कहां जायें. खुले आसमान के नीचे परिवार के साथ रहना पड़ रहा है.सुलेखा देवी
एचइसी ने अपने लाभ के लिए यहां बसाया. झोपड़ी में रहनेवाले लोग घर-घर काम करके अपना जीवन यापन करते हैं. इसी घर में बेटा-बेटी बड़े हुए. कई यादें जुड़ी हुई हैं. ऐसे में घर छोड़ कर कहां जायें. इस पर अधिकारियों को विचार करना चाहिए.लक्ष्मी देवीB
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