ध्वनि और वायु प्रदूषण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम
रांची. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) अशोक कुमार ने कहा कि त्योहारों में भी अंधविश्वास आता जा रहा है. दिवाली में पटाखों की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई, समय में नहीं आता है. दिवाली में जुआ खेलने को परंपरा से जोड़ा जाता है. यह गलत है. पटाखों से नुकसान है. पर्यावरण के साथ-साथ बुजुर्ग, बच्चों और बीमार लोगों को भी परेशानी होती है. श्री कुमार बुधवार को वन विभाग द्वारा दिवाली पूर्व ध्वनि और वायु प्रदूषण को लेकर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. इसका आयोजन डोरंडा स्थित जैप सभागार में किया गया. श्री कुमार ने कहा कि अंधविश्वास मिटाने के लिए जागरूकता जरूरी है. पर्यावरण को दुरुस्त रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. बच्चे इसके सबसे अच्छे संदेशवाहक हो सकते हैं. इएनटी विशेषज्ञ डॉ अभिषेक रामधीन ने कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं करेंगे, तो सबको नुकसान होगा. 65 डेसिबल से अधिक ध्वनि नुकसानदायक है. पटाखों में 90 से लेकर 150 डेसिबल तक की आवाज होती है. अधिक आवाज हर्ट अटैक का कारण भी होता है.अतिथियों का स्वागत करते हुए डीएफओ पब्लिसिटी श्रीकांत वर्मा ने कहा कि युवा शक्ति की परिवर्तन की बड़ी ताकत हैं. यदि युवा संकल्प लें कि वह दिवाली में पटाखे नहीं जलायेंगे, तो धरती फिर मुस्कुरायेगी. कार्यक्रम प्रदूषण बोर्ड की वैज्ञानिक अमृता मिश्रा ने भी विचार रखा. कार्यक्रम में पीसीसीएफ वन्य प्राणी पारितोष उपाध्याय, चेयरमैन बायोडायवर्सिटी बोर्ड विश्वनाथ शाह, डीएफओ वन्य प्राणी अवनीश चौधरी भी मौजूद थे. स्कूली बच्चों ने किया नाटक का मंचन, संत अंथोनी को पहला स्थानइस मौके पर स्कूली बच्चों ने नाटक के माध्यम से ध्वनि, वायु प्रदूषण और पर्यावरण के महत्व की जानकारी दी. इसमें संत जोसेफ, संत अंथोनी, बिशप वेस्टकॉट नामकुम, सेंट्रल स्कूल के विद्यार्थियों ने मंचन किया. इसमें संत अंथोनी स्कूल को पहला, बिशप वेस्टकॉट ब्यॉज को दूसरा व संत जोसेफ स्कूल को तीसरा स्थान मिला.
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