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Ranchi news : झारखंड में प्रेशर हॉर्न और कस्टमाइज्ड साइलेंसर पर पूरी तरह बैन

ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का सख्त निर्देश

रांची.

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राज्य में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाया है. बोर्ड ने वाहनों में प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न, म्यूजिकल हॉर्न और बदले हुए (कस्टमाइज्ड/मॉडिफाइड) साइलेंसर के प्रयोग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है. कहा गया है कि इनका इस्तेमाल न केवल आम लोगों के लिए परेशानी का सबब है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का भी उल्लंघन है. बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी ने इससे संबंधित आम नोटिस जारी किया है.

प्रेशर हॉर्न और साइलेंसर ब्लास्ट से बढ़ रही परेशानी

बोर्ड के निर्देश में कहा गया है कि कई वाहन चालक सार्वजनिक परिवहन साधन और यहां तक कि स्कूल बसों में भी प्रेशर हॉर्न और तेज आवाज वाले साइलेंसर का प्रयोग कर रहे हैं. इससे शहरों और सड़कों पर ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है, जो गंभीर समस्या का रूप ले चुका है.

वाहन में बदलाव करना गैरकानूनी

पर्यावरण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, किसी भी वाहन चालक को कंपनी द्वारा उपलब्ध कराये गये मानक साइलेंसर में किसी तरह का परिवर्तन, संशोधन या कस्टमाइजेशन करने की अनुमति नहीं है. ऐसे बदलाव करने पर वाहन मालिक और चालक दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

वाहन चालकों पर होगी कार्रवाई

झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी संबंधित सरकारी एजेंसियों को प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न और म्यूजिकल हॉर्न को तुरंत जब्त कर हटाने का आदेश दिया है. साथ ही बदले हुए साइलेंसर लगाकर शोर मचाने वाले चालकों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई करने को कहा है.

नागरिकों से सहयोग की अपील

बोर्ड ने आम नागरिकों और वाहन मालिकों से अपील की है कि वे इन नियमों का पालन करें और ध्वनि प्रदूषण मुक्त वातावरण बनाने में सहयोग दें. बोर्ड ने कहा है कि नियम तोड़ने पर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जायेगी.

ध्वनि प्रदूषण पर कानूनी प्रावधान

– पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 के तहत ध्वनि प्रदूषण रोकने का प्रावधान- वाहन में कंपनी द्वारा तय मानकों से अलग बदलाव गैरकानूनी- प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न और बदले हुए साइलेंसर का प्रयोग प्रतिबंधित- उल्लंघन पर सजा का है प्रावधान- नियम तोड़ने पर जुर्माना व वाहन जब्ती की कार्रवाई संभव- लगातार उल्लंघन करने पर चालक का लाइसेंस हो सकता है रद्द- ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले सार्वजनिक वाहनों पर अतिरिक्त दंडात्मक कार्रवाई की जायेगी

ध्वनि प्रदूषण से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान

– श्रवण क्षमता प्रभावित : लगातार शोर से सुनने की शक्ति कम हो सकती है

– तनाव और चिड़चिड़ापन : तेज आवाज से मानसिक तनाव और बेचैनी बढ़ती है

– नींद पर असर : रात में शोरगुल से नींद प्रभावित होती है, जिससे थकान और स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें होती हैं

– हृदय रोग का खतरा : लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण से हृदय और रक्तचाप संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है

– बच्चों पर असर : अधिक शोर से बच्चों की पढ़ाई और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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