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लोगों की घटी कमाई, ऑटो भाड़ा तीन गुना बढ़ा

कोरोना संकट के बीच शुरू हुए अनलॉक-1.0 में राज्य सरकार ने ऑटो और ई-रिक्शा को चलने की अनुमति दे दी है. लेकिन, सोशल डिस्टैंसिंग की बाध्यता के कारण ऑटो का भाड़ा तीन गुना और ई-रिक्शा का भाड़ा दोगुना तक बढ़ा दिया गया है

रांची : कोरोना संकट के बीच शुरू हुए अनलॉक-1.0 में राज्य सरकार ने ऑटो और ई-रिक्शा को चलने की अनुमति दे दी है. लेकिन, सोशल डिस्टैंसिंग की बाध्यता के कारण ऑटो का भाड़ा तीन गुना और ई-रिक्शा का भाड़ा दोगुना तक बढ़ा दिया गया है. लॉकडाउन में हर निम्न व मध्यम वर्ग के लोगों के आय के साधन खत्म हुए हैं. लोगों की आय घटी है. लोग पहले से आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, ऐसे में अॉटो भाड़े में तीन गुना तक की वृद्धि लोगों पर भारी पड़ रही है. राजधानी में राेजाना 20 रुपये खर्च कर सफर करनेवालों से 60 रुपये मांगे जा रहे हैं. अनलॉक-1.0 में सरकार ने निबंधित ऑटो और पास वाले ई-रिक्शा को चलाने की अनुमति दी है.

सोशल डिस्टैंसिंग के कारण पेट्रोल व पियॉगो ऑटो (थ्री प्लस वन) में दो और बड़े ऑटो (सिक्स प्लस वन) में चार पैसेंजर बैठाने की अनुमति दी गयी है. लोगों का कहना है कि राज्य सरकार चाहे, तो कॉमर्शियल टैक्स, डीजल और पेट्रोल की दर में कमी कर ऑटो चालकों और यात्रियों को राहत दी जा सकती है. लेकिन, इस मामले में जिला प्रशासन और परिवहन विभाग ने अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है. वैसे भी अब तक ऑटो का किराया निर्धारण कभी भी जवाबदेह विभाग और प्रशासन ने नहीं किया है.

संघ के लोग ही भाड़ा बढ़ाते रहे हैं. एक तरफ तो सोशल डिस्टैंसिंग के नाम पर भाड़ा बढ़ा दिया गया है, लेकिन मौका मिलते ही अॉटो व रिक्शा में निर्धारित संख्या से ज्यादा लोग बैठाये जा रहे हैं. इस मामले में रांची जिला ऑटो चालक यूनियन के अध्यक्ष अर्जुन यादव कहते हैं कि यूनियन ने किराया तय कर डीसी को जानकारी दे दी है. वहीं, प्रदेश डीजल ऑटो चालक महासंघ के संस्थापक दिनेश सोनी और ई-रिक्शा के अध्यक्ष विकास श्रीवास्तव ने कहा कि फर्जी यूनियन ने भाड़ा तय किया है. यूनियन में 25 से 30 ऑटो मालिक हैं.

वह चाह रहे हैं कि दो महीना लॉकडाउन में ऑटो बंद रहने से काफी नुकसान हुआ है, उस नुकसान को मेकअप करने के लिए अपना हित साध रहे हैं.रातू रोड से रांची स्टेशन का पहले 20 रुपये लगता था, अब 60 रुपयेप्रभात खबर की टीम ने रातू से रांची स्टेशन और दूसरे स्थानों पर चलनेवाले आॅटो का बुधवार को जायजा लिया. पता चला कि लॉकडाउन से पहले रातू से रांची स्टेशन जाने में एक यात्री को 20 रुपये देने पड़ते थे. अब एक यात्री को 60 रुपये देने पड़ रहे हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि पहले ऑटो में आठ से दस सवारी लेकर चलते थे, तो रातू से 20 रुपये में स्टेशन जाते थे.

रांची में ऑटो 15 हजार से अधिक, परमिट 2335 के पास शहर में ऑटो की संख्या 15 हजार से अधिक है. इसमें से केवल 2335 ऑटो को ही शहरी क्षेत्र में चलने के लिए नगर निगम द्वारा रूट पास दिया गया है. हालांकि, इतनी कम संख्या में रूट पास निर्गत किये जाने के बाद भी शहर में प्रतिदिन हजारों ऑटो का परिचालन बिना रूट पास के ही होता है. पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं रहने के कारण लोगों के लिए ऑटो ही एकमात्र विकल्प है. कई ऑटो का परमिट ही रिनुअल नहीं2335 ऑटो का परमिट है, लेकिन अधिकतर परमिट फेल कर गया है. मार्च से रिनुअल के लिए आवेदन दिया गया है, अभी सबके पास उसका चालान है. लेकिन ट्रैफिक एसपी व आरटीए उससे मानने का तैयार नहीं हैं. जबकि सरकार का आदेश है कि परमिट ही पास है, उसे ही चिपका कर चलें. अधिकारियों की जिद के कारण अधिकतर ऑटो बंद हैं.

रातू रोड से रांची स्टेशन तक के लिए दो यात्रियों का भाड़ा 120 रुपये तय है. पर हालत यह है कि पैसेंजर नहीं मिल रहे हैं. दोपहर तीन बजे तक बोहनी नहीं हुई. अधिकतर पैसेंजर 20-30 रुपये में जाना चाहते हैं. इतने कम में डीजल का भी दाम नहीं निकलेगा.- श्रीराम यादव, ऑटो चालक

रातू रोड से बजरा, कटहल मोड़ तक चलता हूं. लोग कटहल माेड़ की दो सवारी का 80 रुपये भाड़ा देना नहीं चाहते. बुधवार को सुबह से तीन बजे अब तक एक ट्रिप चल पाये हैं. अब तो थोड़े पैसेवाले लोग भी भाड़े की टैक्सी कर चले जा रहे हैं. – वीरेंद्र साहू, ऑटो चालक

रिजर्व की दो सवारी का जो भाड़ा तय किया है, उसकी कॉपी उपायुक्त कार्यालय को उपलब्ध करा दी है. उसके बाद ही मीडिया को जारी की गयी है. कुछ यूनियन हमारे यूनियन को फर्जी यूनियन कह रहे हैं, लेकिन हमारा यूनियन रजिस्टर्ड है.- अर्जुन यादव, अध्यक्ष, रांची जिला ऑटो चालक यूनियन डीजल चालक यूनियन ने जो भाड़ा तय किया है, वह गैरकानूनी व अव्यावहारिक है. इस प्रकार से ऑटोवालों का परमिट भी रद्द हो सकता है. एमवीआइ एक्ट के अनुसार भाड़ा तय करने का अधिकार जिला प्रशासन व ट्रांसपोर्ट विभाग का है. आयुक्त, झारखंड

संघ ने सरकार से अनुरोध किया है कि रिजर्व को हटा कर शेयर सिस्टम लागू करने से आम जनता को आसानी होगी. सिटी बस चालू कर देने से ऑटोवालों की मनमानी पर लगाम लगेगा. झारखंड सरकार को भी बिहार सरकार की तर्ज पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू करनी चाहिए. – प्रेम मित्तल, अध्यक्ष, झारखंड यात्री संघ

हमारे पास अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं आयी है. ऑटो और ई-रिक्शा के किराये में ज्यादा वृद्धि की गयी है, तो संबंधित संघों से बात कर तात्कालिक रास्ता निकाला जायेगा. आगे किराया तय कर सभी ऑटो में मीटर लगाया जायेगा, ताकि यात्री प्रति किमी के हिसाब से पैसे दे सकें.- फैज अक अहमद मुमताज, परिवहन

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