रांची.
सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नगदीकरण जैसी सुविधाओं का भुगतान नहीं रोका जा सकता है. चाहे उसके खिलाफ बिना दोषसिद्धि के कोई आपराधिक मामला हीं क्यों नहीं लंबित हो. पेंशन-ग्रेज्युटी व अवकाश नगदीकरण कर्मचारी के वैधानिक अधिकार होते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट ने कई मामलों में आदेश पारित किया है. उक्त बातें झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता बिनोद कुमार साहू ने कही. वह शनिवार को प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में लोगों के सवालों पर कानूनी सलाह दे रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त होने के छह माह पूर्व से ही प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिए. सरकार का भी ऐसा ही निर्देश है, ताकि सेवानिवृत्ति के दिन ही कर्मी को लाभ का भुगतान किया जा सके. पेंशन, ग्रेज्युटी व अवकाश नगदीकरण का लाभ नहीं मिलने से संबंधित सैकड़ों मामले न्यायालय में आते हैं. इस तरह के मामले को विभाग स्तर पर निबटाना चाहिए, ताकि न्यायालय पर मुकदमों का बोझ नहीं बढ़े. डालटनगंज के सुरेश कुमार दास का सवाल : छह साल पूर्व सेल से सेवानिवृत्त हुए, लेकिन अब तक उन्हें पेंशन नहीं मिली है. पेंशन के लिए कई बार लिख कर दिया, लेकिन भुगतान नहीं किया गया. ऐसे में क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : देखिए, पेंशन आपका अधिकार है. उसे कोई रोक नहीं सकता है. इस मामले में आप जहां से सेवानिवृत्त हुए थे, उसके उच्चाधिकारी को लिखित आवेदन दें. लीगल नोटिस भी दे सकते हैं. पेंशन भुगतान शुरू नहीं हुआ, तो आप कैट में वाद दायर कर सकते हैं.
रांची के सुमित सिन्हा का सवाल : मेरे दादाजी ने एलआइसी की पॉलिसी ली थी. वे नहीं रहे. पॉलिस का समय पूरा होने के बाद उसके भुगतान की मांग की गयी, लेकिन एलआइसी भुगतान नहीं कर रहा है. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : आप अपने पिताजी के माध्यम से एलआइसी को भुगतान के लिए लीगल नोटिस भेजें. भुगतान नहीं होने पर आपके पिताजी सारे दस्तावेजों के साथ उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
लोहरदगा के विरंजीत मिंज का सवाल : मेरी पत्नी वर्ष 2016 में टीजीटी शिक्षक परीक्षा में शामिल हुई थी. वह क्वालिफाई थी, लेकिन जेएसएससी ने एसटी कोटा की सीटें सरेंडर कर दी है. वह नियुक्ति के लिए क्या कदम उठा सकते हैं?अधिवक्ता की सलाह : देखिए, हाल ही में झारखंड हाइकोर्ट ने टीजीटी शिक्षक परीक्षा-2016 में हुई गड़बड़ियों की जांच के लिए सेवानिवृत्त जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अध्यक्षता में आयोग बनाया है. जब आयोग काम करने लगेगा, तो आप आयोग के पास लिखित आवेदन दे सकते हैं या हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकते हैं.
बुंडू के दिनेश प्रसाद कोइरी का सवाल : एनजीटी के निर्देशों के बावजूद बालू का अवैध उत्खनन जारी है. इसे रोकने के लिए उन्होंने सक्षम प्राधिकार के पास आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. क्या करें?अधिवक्ता की सलाह : आप मामले को लेकर सिविल कोर्ट में शिकायतवाद दायर कर सकते हैं या झारखंड हाइकोर्ट में एफआइआर दर्ज कराने के लिए क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर सकते हैं.
इन्होंने भी पूछे सवाल : ऑनलाइन काउंसेलिंग में अधिवक्ता ने लोगों को अनावश्यक मुकदमे से बचने की सलाह दी. बिहार के मुजफ्फरपुर से राजकुमार चाैधरी, कोडरमा से यमुना पासवान, हजारीबाग के चाैपारण से सरदार चरणजीत सिंह, रांची से जितेंद्र नाथ, रांची से महेश कुमार, रातू से बाल किशुन उरांव, सामलाैंग से मोहन साहू आदि ने कानूनी सलाह ली.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

