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कमीशनखोरी के नये सबूत कोर्ट में पेश इडी को ‘मनीष’ के बाद ‘गुप्ता’ की तलाश

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में ग्रामीण विकास विभाग में हुई कमीशनखोरी से जुड़े नये सबूत पेश किये. इसमें मंत्री आलमगीर आलम व मनीष को दिये गये रुपयों के अलावा आलमगीर के घर तक रुपये पहुंचानेवाले के नाम भी शामिल हैं.

विशेष संवाददाता (रांची)

प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में ग्रामीण विकास विभाग में हुई कमीशनखोरी से जुड़े नये सबूत पेश किये. इसमें मंत्री आलमगीर आलम व मनीष को दिये गये रुपयों के अलावा आलमगीर के घर तक रुपये पहुंचानेवाले के नाम भी शामिल हैं. इसी दस्तावेज में रुपये लानेवालों के नाम के साथ यह भी लिखा है कि रुपये किस रंग की थैली में लाये गये. इससे संबंधित ब्योरा मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए दायर पिटीशन में पेश किया गया है. इडी ने अब मनीष के बाद किसी ‘गुप्ता’ नामक व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी है. इडी ने कमीशन और उसमें मंत्री की हिस्सेदारी को लेकर एक नया एक्सेल शीट कोर्ट में पेश किया. इसमें रांची, सिमडेगा, पाकुड़, जामताड़ा, गोड्डा, गिरिडीह, देवघर सहित अन्य जिलों की योजनाओं का ब्योरा दर्ज है. इसी एक्सेल शीट के एक कॉलम में टेंडर की राशि, कुल कमीशन और मंत्री के कमीशन का ब्योरा लिखा है. एक्सेल शीट में दूसरे नंबर पर बोकारो के मानपुर से भोजुडीह गवईं पुल तक सड़क निर्माण योजना का उल्लेख है. योजना की लागत 8.91 करोड़ रुपये है. इसमें कुल कमीशन की राशि 20.50 लाख रुपये हैं. इसमें मंत्री का हिस्सा 9.22 लाख रुपये होने का उल्लेख किया गया है. इसी तरह पूरे एक्सेल शीट में योजना और कमीशन का ब्योरा दर्ज है. इस पेज में मंत्री को कुल 1.30 करोड़ रुपये बतौर कमीशन देने का उल्लेख है.

डायरी के एक पन्ने पर सबसे ऊपर लिखा है ‘साहब’ को देने हैं 2.50 :

इडी ने कोर्ट में हाथ से लिखी गयी डायरी का एक पन्ना भी सौंपा. इस पन्ने पर सबसे ऊपर पहले भी ‘साहब’ को 2.50 देने का उल्लेख है. इडी ने जांच में पाया है कि इस पन्ने में ‘साहब’ कोड वर्ड मंत्री आलमगीर के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसी पन्ने पर इसके बाद पहले भी एम-1 अलग से देने का उल्लेख किया गया है. जांच में यह किसी मनीष को अलग से पैसा देने का मामला पाया गया है. इसी पेज में 30 अंक लिखने के बाद ‘गुप्ता’ के नाम का उल्लेख किया गया है. 100 लिखने के बाद ‘मुन्ना’ के नाम का उल्लेख किया गया है. इडी ने जांच में पाया कि डायरी में लिखे ‘मुन्ना’ वास्तव में मुन्ना सिंह बिल्डर है.

डायरी के पन्ने में रुपयों से भरे बैग का रंग और उसे लानेवाले का नाम दर्ज :

डायरी के इसी पन्ने में किस रंग के बैग में कौन रुपये लाये गये, इसका भी उल्लेख है. डायरी में 35 लिखने के बाद ‘रेड’ और ‘विकास’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है. जांच में पाया गया है कि विकास नामक व्यक्ति लाल रंग की थैली में पैसा लेकर आया था. इसी तरह पर्पल, ग्रे, ब्लैक रंग की थैलियों में रुपये लाकर जहांगीर के घर देनेवालों के नाम लिखे हैं. डायरी के इसी पन्ने में कुल 2868.45 में से 16.98 ‘साहब’ यानी मंत्री को देने का उल्लेख है. इस पेज में लिखे दूसरे कोड वर्ड के सिलसिले में

जांच जारी है.

मंत्री आलमगीर आलम को इडी ने दोबारा पांच दिनों की रिमांड पर लिया :

ग्रामीण विकास विभाग में हुई कमीशनखोरी के मामले में गिरफ्तार मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड अवधि बुधवार को समाप्त हो गयी. इस पर इडी ने मंत्री को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में पेश किया. इडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने अदालत से आलमगीर को सात दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ करने की अनुमति मांगी. आलमगीर के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया. अदालत ने इडी को फिर से पूछताछ के लिए पांच दिनों की रिमांड की मंजूरी दी. इससे पहले आलमगीर को मेडिकल जांच के बाद इडी के अधिकारी कोर्ट लेकर पहुंचे थे. पूर्व में इडी ने 17 मई को मंत्री को छह दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ की थी.

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