रांची. जेष्ठ देव पूर्णिमा यानी बुधवार को महाप्रभु जगन्नाथ का महास्नान पूर्णिमा मनेगी. इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ स्नान करते हैं. इससे पूर्व भगवान की पूजा की जायेगी. इसके बाद भगवान जगन्नाथ स्वामी, बलभद्र स्वामी, बहन सुभद्रा सहित अन्य विग्रहों को बारी-बारी से स्नान मंडप में लाकर रखा जायेगा. वैदिक मंत्रों के साथ 108 घड़ों से भगवान जगन्नाथ के साथ बलभद्र और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जायेगा. इस जल में कई तरह की औषधियां मिलायी जाती हैं. सुंगधित फूल, कस्तूरी, केसर, चंदन होती हैं. सुबह छह बजे मंगल आरती होगी. दोपहर 1.00 बजे से स्नान यात्रा पूजा होगी, जो दोपहर 1.45 बजे तक चलेगी. दोपहर 1.50 बजे आरती, दोपहर 2.00 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक दर्शनार्थियों की ओर से जलाभिषेक होगा. दोपहर 3.30 बजे से 108 मंगल आरती श्री जगन्नाथ अष्टकम और गीता पाठ का आयोजन होगा. शाम 4.00 बजे एकांतवास में महाप्रभु चले जायेंगे.
स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ हो जाते हैं बीमार
स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं, जिसके कारण वह 15 दिनों तक एकांतवास में रहते हैं. इस दौरान भगवान को विभिन्न जड़ी-बूटियों से उपचार किया जाता है. इन 15 दिनों में भक्तों को भगवान के दर्शन नहीं होते हैं. गौरतलब है कि रथयात्रा भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र को समर्पित होती है.
26 जून को भगवान का नेत्रदान
मंदिर में केवल राधा-कृष्ण की मूर्तियों का दर्शन पूजन किया जायेगा. भगवान जगन्नाथ एकांतवास में 15 दिनों तक रहेंगे. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 26 जून को उन्हें एकांतवास से निकाला जायेगा और शाम को नेत्रदान और मंगल आरती की जायेगी. उन्हें मालपुआ सहित अन्य प्रसाद अर्पित कर भक्तों के बीच वितरण किया जायेगा.
भगवान जगन्नाथ की 27 जून को रथ यात्रा
27 जून को रथ यात्रा का त्योहार मनाया जायेगा. इस दिन शाम में भगवान रथ पर आरुढ़ होकर मौसीबाड़ी जायेंगे. पांच जुलाई को गुंडिचा भोग के साथ छह जुलाई को घुरती रथ यात्रा है. जगन्नाथपुर मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन 30 अप्रैल से रथ मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया गया है.
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