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गरीब कैदियों की वित्तीय मदद के लिए शुरू हुई ‘गरीब कैदियों को सहायता’ योजना, रांची सांसद संजय सेठ को मिला जवाब

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि किसी कानून के तहत अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि की आधी अवधि की सजा यदि कोई विचाराधीन कैदी काट लेता है, तो उसे जमानत पर रिहा करने का प्रावधान भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में किया गया है.

रांची: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में रांची के सांसद संजय सेठ को बताया कि गरीब कैदियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने गरीब कैदियों को सहायता नामक एक योजना तैयार की है. इस योजना का उद्देश्य ऐसे गरीब कैदियों को राहत प्रदान करना है, जो जुर्माने की राशि भुगतान करने में असमर्थ हैं अथवा आर्थिक तंगी के कारण जमानत लेने में असमर्थ हैं. लोकसभा में सांसद संजय सेठ ने अतारांकित प्रश्नकाल में जेल में निर्धारित सीमा से अधिक समय से रह रहे कैदियों के लिए योजना, गरीब कैदियों के लिए सहायता, कैदियों के लिए बनी योजनाओं के प्रभावी और निष्पक्ष कार्यान्वयन, योजना के उद्देश्यों की प्रगति सहित कई मामलों पर भारत सरकार से सवाल किया था. इसी के जवाब में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने बताया कि गरीब कैदियों को सहायता नामक योजना को लागू करने के लिए जिले में एक अधिकार प्राप्त समिति गठित करने की सलाह दी गई है, जो ऐसे मामलों में कैदियों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता और आवश्यकता का आकलन करेगी. समिति द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर जिले के कलेक्टर या जिले के मजिस्ट्रेट केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी उपयुक्त धनराशि जारी करेंगे और कैदी को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराएंगे.

अधिकतम कारावास की आधी सजा काटने पर जमानत का प्रावधान

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि किसी कानून के तहत अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम कारावास की अवधि की आधी अवधि की सजा यदि कोई विचाराधीन कैदी काट लेता है, तो उसे जमानत पर रिहा करने का प्रावधान भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता में किया गया है. इसके अलावा आदर्श कारागार मैनुअल 2016 में कानूनी सहायता और विचाराधीन कैदी आदि पर विशेष अध्याय जोड़ गए हैं, जिसमें विचाराधीन कैदियों को उपलब्ध कराई जा सकने वाली सुविधाओं अर्थात कानूनी बचाव, वकीलों के साथ साक्षात्कार, सरकारी खर्च पर कानूनी सहायता के लिए न्यायालय में आवेदन करने आदि के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश दिए गए हैं.

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विधिक सेवा क्लीनिक स्थापित

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने बताया जेल में विधिक सेवा क्लीनिक स्थापित किए गए हैं, जो जरूरतमंद व्यक्तियों को नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करते हैं. इन क्लिनिकों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि सभी कैदियों को उनके पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता उपलब्ध हो जाए और उन्हें कानूनी सहायता और सलाह भी उपलब्ध हो सके. केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत कारागार में बंद व्यक्ति मूल रूप से राज्य सूची के विषय हैं. कारागारों और कैदियों के प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है. बावजूद इसके भारत सरकार समय-समय पर इस मुद्दे पर राज्यों को समाधान करने का दिशा निर्देश और सुझाव देती रहती है.

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