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केंद्रीय योजनाओं पर खर्च का बदलेगा पैटर्न, अब एडवांस में नहीं मिलेगा राज्य सरकार को पैसा, जानें क्या पड़ेगा इसका प्रभाव

बिल के एवज में निकासी इस खाते से होगी. खाते की एक सीमा होगी. लिमिट से अधिक राशि की निकासी नहीं हो पायेगी. पहले चरण में स्कीम का 25 फीसदी ही केंद्र सरकार देगी. अब इस एकाउंट से बिल के बिना निकासी संभव नहीं हो पायेगा. विभागों को जून तक इसकी तैयारी पूरी कर लेने को कहा है. जुलाई से नये प्रावधान के तहत काम किया जा सकता है.

Ranchi News, Central Government Latest News रांची : केंद्र सरकार अब केंद्र प्रायोजित योजना के लिए एडवांस में पैसा नहीं देगी. केंद्र प्रायोजित योजना में खर्च के पैटर्न को केंद्र सरकार बदलने जा रही है. इससे संबंधित पत्र राज्य सरकार को भेजा गया है. राज्य सरकार ने सभी विभागों को भारत सरकार की चिट्ठी से अवगत करा दिया है. इसके लिए जरूरी कार्रवाई कर सूचना मांगी गयी है. सभी विभागों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए अलग-अलग खाता खोलने को कहा गया है. यह खाता शून्य बैलेंस का होगा.

बिल के एवज में निकासी इस खाते से होगी. खाते की एक सीमा होगी. लिमिट से अधिक राशि की निकासी नहीं हो पायेगी. पहले चरण में स्कीम का 25 फीसदी ही केंद्र सरकार देगी. अब इस एकाउंट से बिल के बिना निकासी संभव नहीं हो पायेगा. विभागों को जून तक इसकी तैयारी पूरी कर लेने को कहा है. जुलाई से नये प्रावधान के तहत काम किया जा सकता है.

इस वर्ष 16325.57 करोड़ मिलने की उम्मीद :

राज्य सरकार अपने बजट में इस बात का जिक्र की थी कि केंद्र सरकार विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 2021-22 में 16325.57 करोड़ रुपये देगी. राज्य में कई बड़ी योजनाएं राज्य और केंद्र सरकार के सहयोग से चल रही है. इसके अतिरिक्त राज्य सरकार की कई अपनी योजनाएं भी चलती है, जो पूरी तरह राज्य सरकार अपने खर्च से चलाती है.

केंद्र सरकार की कई योजनाओं में केंद्र का शेयर पहले ही कम कर दिया गया है.

क्या होता था पहले : पहले केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए केंद्र राज्य सरकार को दे देती थी. राज्य सरकार इसके लिए एक अलग खाता रखता था. स्कीम पर खर्च नहीं होने की स्थिति में भी पैसा खाते में जमा रह जाता था. इसको खर्च करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार अनुमति देती थी. इसके बाद अगले वित्तीय वर्ष में राशि खर्च होती थी. इस तरह की अरबों रुपये की पुरानी स्कीम आज भी संचालित है. इसमें कई स्कीम का पैसा आज भी राज्य सरकार के पीएल खाते में पड़ा हुआ है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

केंद्र सरकार की इस व्यवस्था से राज्यों को नुकसान होगा. राज्यों के पास आय के स्त्रोत कम होते हैं. केंद्र सरकार की इस तरह की बंदिश से झारखंड जैसे गरीब राज्यों को ज्यादा नुकसान होगा. क्योंकि अगर समय पर राज्य सरकार अपना शेयर नहीं दे पायेगी, तो स्कीम शुरू नहीं हो पायेगा.

असल में राज्यों में मिलनेवाला अनुदान राज्यों का हक है. इसे केंद्र सरकार अपने पैसे की तरह व्यवहार करती है. केंद्र राजस्व संग्रहण का ज्यादा काम खुद करती है. असल में केंद्र के पास भी पैसे की कमी है. इस कारण कई तरह की बंदिश लगा रही है. ऐसे में राज्यों को पैसा देने में बंदिश कम होनी चाहिए. संघीय ढ़ांचे में इस तरह की व्यवस्था ठीक नहीं है.

हरिश्वर दयाल, अर्थशास्त्री

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