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वित्त रहित शिक्षा नीति खत्म करने की दिशा में बढ़ी हेमंत सरकार, वर्षों से हो रही है मांग, जानें क्या होगा फायदा

झारखंड में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त होगी. इसके लिए नियमावली तैयारी की जाएगी और वित्तरहित शिक्षाकर्मियों को वेतनमान भी मिलेगा. सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार विभाग को इसके लिए प्रस्ताव भेज दिया है.

रांची : राज्य में वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त करने के लिए नियामवली बनायी जायेगी. हेमंत सरकार ने इस दिशा में कदम बढ़ा दिये हैं. लंबे समय से इसकी मांग होती रही है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव ने कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा है.

इसमें कहा गया है कि इसे लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय द्वारा शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है. जिसमें वित्त रहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाने को कहा गया है. वहीं, सभी वित्तरहित कर्मियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करने के साथ वेतनमान देने संबंधित मामले में प्रशासनिक सुधार आयोग द्वारा कार्रवाई करने का उल्लेख है.

कार्मिक विभाग से समुचित कार्रवाई का किया आग्रह :

पत्र में इसका भी उल्लेख है कि विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रशासनिक आयोग द्वारा कार्रवाई करने की बात कही थी. मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में दिये गये आश्वासन से संबंधित पत्र भी कार्मिक विभाग को भेजकर समुचित कार्रवाई का आग्रह किया गया है. ज्ञात हो कि विधानसभा में दिये गये आश्वासन के संबंध में विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था.

मदरसा व संस्कृत स्कूल पर भी विचार :

वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के मामले में इंटर कॉलेज, हाइस्कूल सहित मदरसा व संस्कृत स्कूल के शिक्षक व कर्मियों के लिए भी नियमावली बनायी जायेगी. राज्य में लगभग 500 से अधिक वित्तरहित स्कूल कॉलेज हैं. राज्य में वर्तमान में स्थायी प्रस्वीकृति (मान्यता) प्राप्त 170 इंटर कॉलेज, 106 हाइस्कूल 43 मदरसा व 33 संस्कृत स्कूल हैं. इसके अलावा राज्य में 200 ऐसे हाइस्कूल हैं, जिन्हें एकीकृत बिहार के समय से लेकर राज्य गठन के बाद वर्ष 2008 तक राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त है.

कितने शिक्षण संस्थान होंगे प्रभावित

170 इंटर कॉलेज

106 हाइस्कूल

43 मदरसा

33 संस्कृत स्कूल

200 ऐसे हाइस्कूल, जिन्हें वर्ष 2008 तक स्थापना अनुमति प्राप्त है

वर्षों से उठती रही है मांग होता रहा है आंदोलन

राज्य में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करने को लेकर झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा काफी दिनों से आंदोलन कर रहा था. मोर्चा के रघुनाथ सिंह ने सरकार के कदम का स्वागत किया है.

इन विकल्पों पर विचार

  • वित्तरहित शिक्षण संस्थानों के अधिग्रहण पर

  • शिक्षण संस्थानों को घाटा अनुदान देने पर

  • अनुदान की राशि बढ़ाने पर

  • शिक्षक व कर्मियों को निश्चित वेतनमान देने पर

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar News Desk
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